बचाने की जरुरत है...
बचाने की जरुरत है...
माँ ने ममता को
पिता ने अच्छाई को
चिड़िया ने आसमान को
पेड़ ने धरती को
सब ने कुछ न कुछ बचा लिया है
हमारा फ़र्ज़ बनता है
हम भी बचा लें कुछ
और न सही तो शब्दों को ही।
असल में बची हुई चीज़ों के साथ
थोड़ा-थोड़ा हम बच जाते हैं।
बचाने की जरुरत है..
छोटी छोटी खुशी को...
कल दुख होंगे सुख पर भारी
बचाने की जरूरत
इंसानियत को..
आज कल हैवानियत है हावी..
बचाने की जरूरत हैं
पानी को..
कल खून होगा पानी पर भारी
बचाने की जरूरत हैं
पेड़ों को
कल ना होगी हवा,
ना पानी, ना फल और ना हम
बचाने की जरुरत है....