मन तो मन है बेवज़ह सोचता है
मन तो मन है बेवज़ह सोचता है
क्या चाहता है ये क्या बोलता है
मन तो मन है बेवज़ह सोचता है
पल में राज़ी पल में उदास
नहीं रहता इसे होशो हवास
समझदार होकर भी नादान है,
ये खुद से ही परेशान है
सबकी ख़बर रखने वाला ये मन
खुद से हीअनजान है प्यार भी यही है,
तक़रार भी यही है ना उतरे जो
वो खुमार भी यही है
आवारा होके हर जगह घूमता है
मन तो मन है बेवज़ह झूमता है
बेकाबू मन को जिसने भी काबू किया
दिलो दिमाग़ पर उसी ने जादू किया
अभी इधर तो अभी उधर
नहीं इसकी कोई अपनी डगर
बंजारा बनके यहाँ वहाँ डोलता है
मन तो मन है बेवज़ह सोचता है।