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Vandana Singh

Crime Drama Tragedy

3.6  

Vandana Singh

Crime Drama Tragedy

अंतिम बिदाई

अंतिम बिदाई

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नन्हे-नन्हे पैरों में

बजती पायल रूनझुन-रुनझुन

छोटे लालट पर

सजती बिंदिया चुनमुन-चुनमुन

बस्ता लिय कंधो पर

घर से निकल गयी है मुनिया

उड़-उड़ कर आसमान में

मुट्ठी में कर लेगी दुनिया

सात साल की छोटी मुनिया

माँ-बाबा की दुलारी मुनिया

हँसती मुनिया,खेलती मुनिया

घर की आखिरी आस मुनिया

काका-काका कहती फिरती

छोटे से आँगन में चिहकती फिरती

पर काका वो जाने

कैसा मानव था

मानव नहीं,छुपा

कोई दानव था

सात साल की छोटी मुनिया

माँ-बाबा को पुकारती मुनिया

रोती मुनिया,कराहती मुनिया

छोड़ देने को गुहार लगाती मुनिया

पकड़-पकड़ घसीट-घसीट

यहाँ वहाँ वो दौड़ता रहा

प्राण पखेरू उड़ गए

निर्दयी पर शरीर रौंदता रहा

विचलित पर निःशब्द

मैं ताकती हूँ..

पायल से सजे

मुनिया के नन्हे पैरों को

तो कभी ताकती हूँ

आलता लगे

माँ दुर्गा के पैरों को

शायद ऐसी ही हुई नन्ही दुर्गा की अंतिम बिदाई

हमें क्या,हमें हमारे त्योहारों की हार्दिक बधाई।


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