माँ
माँ
चाहे कभी कोई मेरी ज़न्नत को छीने,
चाहे कभी कोई मेरी मन्नत को छीने।
ऐ खुदा बस तुझसे मै इतना ही मांगू,
की कभी कोई मेरी माँ को न छीने।
यह जन्नत है मेरी और मन्नत भी मेरी,
है कैसी भले ही पर माँ है यह मेरी।
मै इसकी ही छाया मे इंसा बना हूँ,
यही मेरा जीवन और मौत भी मेरी।
ना है कोई मेरी मोहब्बत तेरे सिवा,
तू ही है रोग और तू ही दबा।
मेरे जीने का सहारा हैं जो,
वो कोई नहीं है बस तेरे सिवा।
वो हिज़्र का लम्हा ज़रा उनसे पूछो,
मोहब्बत क्या है ज़रा उनसे पूछो।
तड़प ते है रात दिन मासुम वेशहारे,
की तड़प क्या है उन वेशहरो से पूछो।।