तेरे ना होने की फ़िकर तो है
तेरे ना होने की फ़िकर तो है
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तेरे न होने की मुझे फ़िकर तो है, मेरी ज़ुबाँ पर तेरा ज़िकर तो है, ढूँढता हूँ तुम्हे मैं बीती हुई यादों में , उन चन्द लम्हों की मुलाक़ातों में , कैसे कहूँ तुमसे वो सारी बातें, बेरुख़ी सी हो गई है अब हालतें, किस हद तक तेरा इंतेज़ार करता हूँ, अपनी साँसोंं को हर-पल बेक़रार करता हूँ, तुमसे खफ़ा होना मुझे आता नहीं, बिन देखे तुम्हे रहा जाता नहीं, कैसी ये घड़ी ऋतु लायी है, उनकी तस्वीर ही मेरे पास बच पाई है, जब कभी अकेले में रोता हूँ, भीगी पलकों से उसको देखता हूँ, अब तो ये मेरी आदत बन चुकी है, मेरी निगाहें अभी भी उसी पर टिकी हैं, चलो चलता हूँ, फिर कभी मुलाकात करूँगा, तेरे जवाब का मैंं इंतेज़ार करूँगा