वसीयत
वसीयत
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अल्पविराम, विराम की भाषा रे
अतिदुख मन क्यूँ रे
संभालता बिगड़ता जग जीवन
अति सुख मन क्यूँ रे
राम श्रवण की जन्मभूमि रे
छल प्रपंच फिर क्यूँ रे
अतिसुख अतिदुख मन क्यूँ रे
अतिसुख अतिदुख मन क्यूँ रे