बचपन का एहसास
बचपन का एहसास
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जब बचपन था,
तो जवानी एक सपना था,
जब जवान हुए,
तो बचपन एक ज़माना था ।
जब घर में रहते थे,
आज़ादी अच्छी लगती थी,
आज आज़ादी है,
फिर भी घर जाने की,
जल्दी रहती है ।
कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा,
बर्गर खाना पसंद था,
आज घर पर आना और,
माँ के हाथ का खाना पसंद है ।
स्कूल में जिनके साथ,
झगड़ते थे,
आज उनको ही,
इंटरनेट, वाट्सप व.
फेसबुक पे तलाशते है ।
ख़ुशी किसमे होतीं है,
ये पता अब चला है,
बचपन क्या था,
इसका एहसास अब हुआ है ।
काश बदल सकते हम,
ज़िंदगी के कुछ साल,
काश जी सकते हम,
ज़िंदगी फिर एक बार ।