हार
हार
राजा ने बुलवाई सभा और कहा सभी को ढूँढो राज़,
क्यों हम हारे पिछली लड़ाई यही है अब तुम सब का काज़।
कहने लगा कोई सेना में रह गई होगी कमी कहीं,
कुछ ने कहा विपक्ष में होगा नया समा ढूँढेंगे वहीं।
कोई कहे हम करते हैं निगरानी बाकी देशों की,
कुछ ने बताया नहीं नहीं हम करें सुरक्षा अपनों की।
अब था सारा पक्ष सामने राजा को करना था तय,
जनमानस में फैली उदासी बढने लगी साँसों की लय।
निर्णय लिया गया कि अबसे युद्ध ना होगा इस-उस पार,
सीधा करेंगे हम प्राणार्पण ना ही सहेंगे कोई हार।
हमला बोल दिया सबपर इसके बाद है अब दूजा,
मंत्री बना लो गर है शरण वो या फिर बंदी बना ले जा।
ना जाने कितने मौसम छाए कितना बीता समय यहाँ,
अब तक है आबाद सल्तनत ना हारी फिर सारे जहाँ।