अधूरी मुलाक़ात
अधूरी मुलाक़ात
तिरछी नज़रें पूरी रात सोने न दिया
जागता रहा वो लम्हात सोने न दिया
तुम्हें भूल जाऊँ या रखूँ याद सदा
दिल में रही जो बात सोने न दिया
ख़्वाहिश थी सफर साथ चलने की
अधूरी अपनी मुलाक़ात सोने न दिया
कह दूँ दिल की हर एक बात तुम्हें
न कहने की हालात ने सोने न दिया
हर सीप को मयस्सर नहीं स्वाति बूँद
इन्हीं सवालात ने सोने न दिया
दिल्ली दूर नहीं तुमसे मिलने की
उमड़ते ये जज़्बात ने सोने न दिया
तुम्हीं हो मेरी ख़यालों की मलिका
मन बसे ये ख़यालात सोने न दिया
यों तो रूबरू न हो सका अब तलक
मोहब्बत की सौग़ात ने सोने न दिया
कहते सब शायर दिल फेंक दीवाना है
लगा दिल में आघात सोने न दिया
साफ़ दिल का क़द्र कहाँ होता है यहाँ
दुनिया की यही करामात सोने न दिया
क्यों किया ज़िकर किसी से “निर्भीक”
आँसुओं की ये बारात सोने न दिया