सुशीम सूर्योदय
सुशीम सूर्योदय
सुशीम सूर्योदय से शुरु होता है प्रतिदिन,
सूरज न हों तो निरर्थक हों जाए दैनंदिन,
दिवाकर निर्धारण करते हैं रात और दिन,
सूरज बिखेर रहें हैं सुनहरी किरणें दिनोंदिन |१|
भानूदय होते हों कलियों में आई खिलखिलाहट,
उजाला होते ही पक्षियों से गूँज उठी चहचहाहट,
जंगल में सभी जानवर खहसही से हुए नटखट,
निर्मल प्रकृति की है यह अत्यंत सुन्दर बनावट |२|
अनंत रेखाओं से सारे संसार को चला रहे हैं रवि,
असीम रेखाएं से मनोहर बने जलाशयों की छवि,
आलाप करते हैं गायक गायिका राग भूपाल भैरवी,
नया दिन शुरु होते ही नए सृजन करते है लेखक कवि |३|
सूर्य नमस्कार में लीन होते हैं सभी पंडित,
ठाकुरजी की पूजा करते हैं अनुरक्त भक्त,
वृक्ष लताएं हों जाते हैं पुलकित नव पल्लवित,
सुषीम सूर्योदय करे सभी जीवों को निद्रा जागृत |४|