व्यवहार
व्यवहार
देखा है भीड़ को सड़कों पर चलते हुए,
यहाँ लोग अनजाने हैं सफर भी अंजाना है।
वैसे कहने के लिए तो हर कोई इंसान है,
पर सिर्फ कोई कोई ही जाना पहचाना है।
व्यस्त है सब इस तकनीकी की दुनिया में,
हाथों में अक्सर मोबाइल दिखा करता है।
पहले बेसब्री से खत का इंतजार होता था,
अब एक पल में ही सारा जवाब मिलता है।
फिर भी ना जाने क्यों दूरियां बढ़ रही हैं,
और अपनों के लिए लोगों को वक्त नहीं है।
अनगिनत दोस्त हैं सोशल मीडिया पर,
जरूरत में फिर भी कोई सशक्त नहीं है।
हंसते बोलते कर लिया करो दो बातें,
उनसे जो जिंदगी में तुम्हारे बहुत खास हैं।
गलतियों में भी साथ नहीं छोड़ा करते,
उन्हें तुम पर खुद से ज्यादा विश्वास है।
हमारा व्यवहार भी जिंदगी का रिवाज है,
दोस्ती और दुश्मनी भी इसी का हिस्सा है।
यादों में फिर रह जाते हैं वो लोग जिंदा,
जब खत्म हो जाए सासों का किस्सा है।
सामाजिक प्राणी इंसान को ही कहते हैं,
तभी तो लोग जनाजे में कंधे देने आते हैं।
कुछ वहम में तो कुछ अहम में रहते हैं,
पर अंत में मिट्टी में ही मिल जाते हैं।