धरा (पृथ्वी)
धरा (पृथ्वी)
धरती अपनी धारिणी, माता रूप समान।
करो वन्दना प्रेम से, इनसे हैं इंसान।।
इनमें हैं सारा जहाँ, सारा हिंदुस्तान।
तिलक लगा माथा इसे, चन्दन बने महान।।
माता मेरी ये धरा, हरियाली चहुँ ओर।
सूरज करते भोर हैं, पक्षी करते शोर।।
वीरों की क़ुर्बानियाँ, इसी धरा की शान।
भारत के बेटा सभी, करते हैं गुणगान।।
सुन्दर स्वर्ग समान है, खुशियाँ मिले तमाम।
वसुंधरा की गोद में, मिलता है आराम।।