बोतल में कैद पानी
बोतल में कैद पानी
आर पार भी दिखता है मेरे,
रंग जैसे थोड़ा थोड़ा सफेद है।
मैं जल जो लोगो का जीवन हूँ,
पर मेरा जीवन बोतल कैद हैं।
बोली भी लगाते रहें ये मेरी,
और मैं लीटरों में बिक गया।
समुद्र की लहरों से निकल कर,
मैं छोटे से बोतल में टीक गया।
देखो तो हर रंगों में घोला मुझे,
शराब और शरबत में भी चढ़ता रहा।
कैद भले ही था मैं बोतल में पर,
मैं हर सीमाओं के आगे बढ़ता रहा।
ये इन्सान समझते हैं सब कुछ,
पर हरकतों से बाज नहीं आतें हैं।
खुद बर्बाद करते रहते हैं मुझे और,
पानी बचाने का संदेश बताते हैं।
समझ ले गंदगी हैं पानी में तुझसे,
साफ करना भी तेरी जिम्मेदारी है।
भूल नहीं सकता तू कि कैसे,
तेरे और मेरे जीवन की भी यारी है।
प्रकृति पर निर्भर थे तुम पहले,
इसलिए एक शर्त मेरी मानो।
वक्त ऐसा कि ये तुमपे निर्भर हैं,
इस बात को गौर से पहचानों।
चलो कैद रहूं लूंगा मैं बोतलों में,
क्योंकि मेरे अंदर कुछ आस है।
रिहा करोगे एक दिन मुझको,
ऐसा मुझे भी विश्वास है।