आया बसंत।
आया बसंत।
हुआ वसंत ऋतु का आगमन,
मीठी भोर के संग,
मन हर्षोल्लासित, नई उमंग,
झूमे वसुधा अंग अंग,
सरसों की ओढ़ पीली चुनर,
शिशिर का हुआ अंत,
चहूं ओर पुष्पों की सुगंध,
चमके प्रचंड दिनकर राजा,
सुनहरी धूप से अंबर साजा,
कीट पतंगे और तितलियां भी,
भूल जगत की कोलाहल,
मदमस्त हो नाचे वन-उपवन
खेतों में देख हरियाली,
कृषक का भी झूमे तन और मन,
रंग-बिरंगे फूलों से लदे
उपवन देख, भवरे भी मंडराए,
मस्त झोंका जब चले पवन का,
पेड़ पौधे संग हरी दूब भी लहराए,
भिन्न-भिन्न अलंकारों से धरती करे श्रृंगार,
प्रकृति की इस अनूठी छटा से,
छाई हर तरफ बहार।