नानी याद आ गयी
नानी याद आ गयी
मैं भी वही हूँ
हैंडसेट भी वही है
माँ का रिंगटोन भी वही है
हिलव्यू अपार्टमेंट वही है
तीनो दोस्त बैचलर वही है
3बीएचके लक्ज़री फ्लैट वही है,
लॉकडाउन और कोरोनाकाल मे
आना बंद हो गया तीनो बाई का
निपटा जाती थी जो काम
खाना, कपड़ा, साफ सफाई का,
मस्ती भरी जिंदगी थी भाई
अच्छी कमाई वह भी बिना लुगाई,
माँ का रिंगटोन बजते ही
माहौल शांत , म्यूजिक म्यूट
सब ठीक है आप कैसे हो
वार्तालाप समाप्त, बॉय बॉय
तीनो में किसी को नही आता
घरेलू काम निपटाना
खाना बनाना, बर्तन माजना, कपड़ा धोना
कठिनाइ है बाहरी खाना मंगाकर खाने में,
अनाड़ी हम किचेन मे हाथ आजमाने मे
तीनो को एकसाथ नानी याद आती है
जब असमय भूख हमे सताती है,
नानी तो माँ की माँ होती है
मुझे गुस्सा माँ पर आता है
दीदी सा ही मुझे क्यों नही बनाया
वैसा ही सिद्धहस्त क्यों नही बनाया
हमसे भी रोटी पकवा लिया होता
झाड़ू बर्तन भी करवा लिया होता
परिवार के कपड़े धुलवा लिया होता
मुझे भी जो दीदी बना दिया होता
मै भी कई रात भूखे नही सोता,
माँ तुझसे बहुत नाराज हूँ
तेरे कारण आज लाचार हूँ ,
झूठ है बेटा प्यारा होता है
माँ, बेटा बेसहारा होता है,
सहारा नारी का बेटा को चाहिए
हमेशा माँ बहन या पत्नी चाहिए,
माँ फिर तेरी याद आ गयी
तेरे बिना नानी याद आ गयी ।।