कोई नहीं जानता
कोई नहीं जानता
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जिंदगी के रंगमंच पर
अभिनीत दुखद कहानियाँ
संवादों, अखबारों, समाचारों
आदि के माध्यम से जब
हमारे कानों और आँखों से
टकराती है
तब कितनी आम लगती है !
किंतु
जब कुदरत इन कहानियों का
किरदार चुनते समय
हमारे नाम पर
मोहर लगा देती है
तो
इन्हें खास बनने में समय
नहीं लगता
इसलिए कोई कहानी
न आम होती है
और
न ही खास
वह बस एक हक़ीकत होती है
जो कब किसकी जिंदगी
बन जाए
कोई नहीं जानता....