ग़ज़ल :-
ग़ज़ल :-
करते हैं मुहब्बत, कहो क्यों दिल में चुभेंगे
धड़कन में रहेंगे, कभी आँखों मे रहेंगे।
ताउम्र तेरे आने की उम्मीद जियेंगे
दहलीज़ पे हम यार चराग़ों से जलेंगे।
गुज़रूँगा गली से तेरी हंगामा तो होगा
तू देखना तो लोग ये, क्या क्या न कहेंगे।
इक बार मोहब्बत का कभी हौसला तो कर
फिर साथ हमारे ये ज़माने भी चलेंगे।
गुज़रा जो तू शहर से तो ऐसा ही होगा
पागल कई होंगे, कई दीवाने मिलेंगे।