नजर किस किस पर
नजर किस किस पर
नजर किस किस पर रखेगा कोई,
ये दुनिया है बेईमानों की,
अपने-अपने स्वार्थ के लिए,
लोग यहाँ गिर जाते हैं,
ईमान अपना बेच देते हैं।
इतना आसान काम नहीं है,
बेईमानों को पकड़ पाना।
झूठी जिंदगी ये जीते हैं,
डर नहीं होता इनको किसी का।
नजर कोई किस किस पर रखेगा,
इंसानियत आज मर-सी गई है।
किस किस को पाठ पढ़ाओगे,
कोई नहीं सुनता किसी की,
हर कोई खुद को राजा समझे,
इसलिए चुपचाप तमाशा देख ऐ बंदे।
नजर किस किस पर रखेगा कोई...