बेहद प्यार
बेहद प्यार
पल पल हर पल
लम्हा लम्हा हर लम्हा
जो साथ बिताये थे हमने
खुशिओं की थी बारात
हमारी प्यारी सी हर वो मुलाकात।
याद आती हो तुम हर सांस के साथ
कसम से जूझ राहा हूँ
बेबसी में दम तोड़के
कतरा कतरा में बिखर रहा हूँ।
कभी इस तरफ कभी उस तरफ
पागल सा घूम रहा हूँ
दिशाहीन जिंदगी बनग ई है
सूखे पत्ते की तरह बेवज़ह उड़ रहा हूँ।
यादों ने इतना जकड़ा है मुझे
अब कोइ होश नहीं
दुनिया ने मुँह मोड़ा है
अब दुनिया की कोई फ़िक्र नहीं ।
गगन से ऊंचा था प्यार हमारा
सागर से गहरा प्यार हमारा
पवित्र रिश्ता था कहलाता
राधेश्याम सा प्यार था हमारा
मझधार में छोड़ के नइया
क्यों छोड़ गए बहुत दूर तुम
अपने एहसासों को खुदमें दबाये
इस जीवन को क्यों अलविदा कह गए तुम।
अब आख़री मंज़िल हो तुम
खत्म कर दूँ में खुद को
जिंदगी भी क्या जिंदगी है मेरा
मिटा दूँ में मुझको
प्यार में तेरे निछावर कर दूं खुद को।