तेरी मौजूदगी
तेरी मौजूदगी
हुश्न ए जाना तेरी मौजूदगी से है
कायनात की हर शै रोशन
संदल सी खुशबू तेरे जिस्म की
महका रही है ज़र्रा ज़र्रा।
हंसी तेरी बिखर गई है
हरियाली के हाथों पर,
देख शमा बन गया
मस्ती भरा सितारों पर।
रची तेरी हथेलियों पर जो
हीना महकी महकती,
रंग हज़ारों निखर गए
आसमान के सीने पर।
बोल तेरे घंटियों की
नाद से भी मीठे सुर
आठवाँ उभर गया
सात सूर के पीछे।
नैन नशीले आब का
दरिया झाँका जिसने मचल गया
बिंदिया तेरी चाँद का
टिका रात को रोशन कर गया।
मरमरी इस तन का साया
कुरदुरी मेरी ज़िंदगी में
मखमली अहसास भर गया।
आँखें मूँद कर तुझको सोचूं
रब का साया रच जाए।
खुद ब खुद ही इबादत में
हाथ मेरे उठ जाएं।
मिट्टी की नहीं बनी है तू
मोह का है एक दरिया।
मन को मेरे खुश रखने का
मान ले तू एक जरिया है !