Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rashmi Prabha

Inspirational

4.7  

Rashmi Prabha

Inspirational

नख से शिख तक ज़िंदा रहूँगी

नख से शिख तक ज़िंदा रहूँगी

1 min
295


मैंने कब कहा ?

कि,

खुद के हिस्से

थोड़ी स्वतंत्रता माँगते हुए

मैं अपने सपनों को ऊँचे छींके पर रख दूँगी ?


भूल जाऊँगी गुनगुनाना,

चूड़ी पहनना,

पायल को ललचाई आँखों से देखना।

चुनरी मुझे आज भी खींचती है अपनी ओर,

पुरवईया - जब मेरे बालों से ठिठोली करती है

तो सोलहवें साल के ख्याल

पूरे शरीर में दौड़ जाते हैं !


स्वतंत्रता माँगी है,

राँझा बन जाने की बात नहीं की है।

मैं हीर थी,

हूँ

और रहूँगी !


मुझे भी जीने का हक़ है,

कुछ कहने का हक़ है

सूरज को अपने भाल पर

बिंदी की तरह सजाकर

मैं श्रृंगार रस की चर्चा आज भी करुँगी

स्वतंत्रता माँगी है,

पतझड़ नहीं।


बसंत के गीत,

जो तुम मेरे होठों से छीन लेना चाहते हो,

वह मैं होने नहीं दूँगी !

6 मीटर की साड़ी पहनकर,

मैं वीर रस की गाथा लिख चुकी हूँ।


तो आज भी यही होगा,

भोर और गोधूलि की लालिमा लिए

मैं धरती का चप्पा चप्पा नापूँगी,

सारे व्रत-त्यौहार जियूँगी,

अपने भाई के हाथों

अपनी रक्षा का अधिकार बांधूंगी,

पूरी माँग भरकर,

अनुगामिनी बनूँगी ...


साथ ही,

भाई की रक्षा का वचन भी लूँगी,

पति राह से भटका

तो, निःसंकोच -

उसके सारे रास्ते बंद कर दूँगी।


स्त्री हूँ

स्त्रीत्व को सम्मान से जीऊंगी,

माँ के अस्तित्व को,

उसके आँचल से गिरने नहीं दूँगी,

मैं नख से शिख तक खुद को संवारूँगी

रोम रोम से ज़िंदा रहूँगी,

स्वतंत्रता के सही मायने बताऊँगी ...।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational