जीवन बीता जाता
जीवन बीता जाता
किसी काम को करते समय
मुझे जब ध्यान नहीं होता
अचानक अपनी दोनों आँखों को
पाता मैं रोता।
रोक काम को,
पोंछ आँख को
सोच में मैं पड़ जाता
कैसा दुःख है मुझको
क्यों आँख में पानी आता ?
नभ की ओर घुमाकर दृष्टि
मैं जिज्ञासा से भर जाता
अनायास ही भीतर से
फिर यह प्रश्न है आता।
प्रभु के भजन तू कब जाएगा
यह जीवन बीता जाता ?
कृपा करो कृपानिधान,
मुझसे जोड़ो नाता।
हे दाता !