इंतज़ार ना करो
इंतज़ार ना करो
मिल गई जो मोहब्बत तो इंतजार न करो
ऐसे कैसे हो जाये की सामने हो महबूब
और तुम तनहा रहकर भी दीदार न करो
मिल गई जो मोहब्बत तो इंतजार न करो
किस किस की निगाह पढ़ते फिर हम तुम
ये तो अपनों की महफ़िल है यहाँ बेगाना कौन
ऐसे में कैसे हो की किसी से प्यार न करो
मिल गई जो मोहब्बत तो इंतजार न करो
पालक झपकते ही हवा का रुख बदल जाता है
ऐसे फूल भी है जिनका रंग बदल जाता है
ऐसे में तुम ही रहो बेरंग लबों को चुप न करो
मिल गई जो मोहब्बत तो इंतजार न करो।