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Lakshman Jha

Comedy

2.1  

Lakshman Jha

Comedy

वाह..वाह..क्या बात है

वाह..वाह..क्या बात है

1 min
2.1K


कुछ न कुछ

हम लिखते रहते हैं,

किन्हीं अवसरों पर

अपनी बातों को छंदों,

में पिरोते हैं !


कवि कहना

कवि की तोहीन होगी !

हाँ ..कभी उद्गार यूँ ही

मेरे ह्रदय से निकली होगी !


आज के युग में भला

फुर्सत है किसको ?

जो हमारी बातों को सुने,

और दिल से कहे।

वाह..वाह...क्या बात है !


आज हमने भी एक

कविता बनाई,

पढ़कर अपनी श्रीमती जी

को सुनाई !


हमारा मन रखने के लिए

उन्होंने तलियां जोर से बजाई

और वाह...वाह..क्या ..बात है ?

कहकर हमारी ढाढस बंधवाई !


फिर क्या था ?

हम गदगद हो गए

ख़ुशी से अपनी श्रीमती जी को

पांच सौ रुपये दे दिए !


वह भी बहुत खुश हुई,

और उत्सुकता पूर्वक

उसने हमसे पूछ लिया,

दूसरी कविता फिर कब सुनायेंगे ?


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