शिकारी
शिकारी
वो बड़ी बेरहम शिकारी है।
धार तीखी नयन कटारी है।
हो अगर तो गिला करे किससे?
ये जहाँ रूप का पुजारी है।
दाँव वो चला रही अदाओं से,
दिल हमारा बड़ा जुआरी है।
ख्वाहिशें आज बहक जाएँगी,
मोहिनी हमकदम हमारी है।
क़ैद में चैन पा रहे हैं हम,
यार के हुस्न की खुमारी है।
अब नहीं डर हमें तबाही का,
ये अगन बेहिसाब प्यारी है।
मौत आ जाय ग़म किसे है 'मणि'?
जान पर मौत की उधारी है।