यह कैसा व्यापार
यह कैसा व्यापार
शिक्षा होती थी कभी, जीवन का आधार,
आज हुआ ऐसा पतन, हुई बड़ा व्यापार।
हुई बड़ा व्यापार, दुकानें बड़ी बड़ी हैं,
उसपर ये आश्चर्य, सामने भीड़ लगी है।
पुस्तक या पोशाक, कला-क्रीड़ा बस रिक्शा,
दे कर सबका मोल, मिले ट्यूशन से शिक्षा।
हाथ जोड़ विनती करूं, गिरने मत दो साख,
गुरुकुल वाली परंपरा, हो जाएगी राख।
हो जाएगी राख, समाज अपमान करेगा,
अध्यापन का शिष्य, कहाँ सम्मान करेगा।
पैसे का ही खेल, खेलना है तो खेलो,
शिक्षा पर भी ध्यान, तनिक तो यारा दे लो।