चायपत्ती
चायपत्ती
बीवी बोली-
सुनोजी बात हूँ कहती,
लाना भुल गये तुम चायपत्ती।
पति फिर थोड़ा चिल्लाया
क्या ? परसो ही तो लाया।
कैसी तुम चटोरी हो
शक्कर छोड़,
चायपत्ती को है डकारा।
"हँ" बीवी की आवाज आई.
अच्छा, मैंने पत्ती है चटकाई ?
भूल गये सर के बाल
कपास की लगती थी जो खाल।
मेरे बालों का पत्ती से क्या है कनेक्षन,
क्यु बेवजह मुझे देती हो टेंशन।
हाय हाय,
उठते ही तुमने एक नारा लगवाया था
बालों को रंगने नया नुस्खा तुमने पाया था।
मेहंदी के पानी में चायपत्ती भिगोनी थी
रात भर तुमने यही कहानी कही थी।
सहेली के घर था तुम्हें ले जाना
इसलीये मैंने तुम्हारा ये नुस्खा माना।
देखो तो कैसे सुनहरे बाल लहराये थे
तुम भी तो उस दिन बहुत इतराये थे।
अब क्यो मारते हो ताना।
जरा जल्दी से पत्ती ले आना।
सर पिटता हुआ पति बोला,
धन्य हो तुम मेरी रासलीला।