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Gaurav Shrivastav

Abstract

4.0  

Gaurav Shrivastav

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खुश हूँ मैं

खुश हूँ मैं

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330


गरीब हूँ मैं, मैं दुखी नहीं,

बेरोजगार हूँ मैं, मैं लाचार नहीं,

खुश हूँ मैं,पर मैं संतुष्ट नहीं।


माँ की गोद में ना सोया हूँ मैं,

पिता के लिए रोया हूँ मैं,

हर सुख को खोया हूँ मैं,

खुश हूँ मैं पर मैं संतुष्ट नहीं।


जितना है उतने में ही रहा हूँ मैं,

हर ग़म को गले से लगाया हूँ मैं,

हर किसी को अपनाया हूँ मैं,

खुश हूँ मै,पर मैं संतुष्ट नहीं।


रफ्ता रफ्ता जिंदगी बिताया हूँ मैं,

मुश्किलों को यार बनाया हूँ मै,

औरों को लड़ना सिखाया हूँ मैं,

खुश हूँ मैं, पर मैं संतुष्ट नहीं।


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