छोटी सी चाहत
छोटी सी चाहत
जो सोचती हूँओ जता नही पाती
क्योंकि डरती हूँ।
हिंसा और अपवाद से
इस शोषित समाज से
प्यार तो बहुत करती हूं।
जता नहीं पाती
क्योंकि डरती हूँ।
स्नेह तो बहुत हैधोखा मिलते ही
खून खौलता है
उबलता है खून मेरा
जब करूणा से कोई खेले।
जब एक सत्तासीनकष्ट दे
एक सत्ताविहीन कोघसीटता है नोचता है
खत्म कर दे आत्मा की आवाज को
तुम सुंदर नही कुरुप हो
तुम चली जाओ।
तुम चुप हो जाओ
बिल्कुल भी मत चिल्लाओ
इस वजह से अपना
प्यार स्नेह जता नहीं पाती।
यही वजह है
डर डर कर जीती हूँ
क्योंकि डरती हूँ
तुम कायर हो
जो मुझे प्रताड़ित करते हो।
वक्त के साथ तुम भी
मारे जाओगे।
इससे पहले हर तरफ आग न फैल जाए
और इस आग से
जल जाए पूरा प्रेम रूपी इंसानियत
तुम सोचो
एक बार पुनः विचार करो।
तुम मुझसे जुड़कर
एक हो जाओ।
मैं तुझमें समा जाऊँ।
तू मुझमें समा जाएं।
और ले लो अपनी बाहों में
बिना लिए अग्नि परीक्षा।
जो सोचती हूँ।
ओ जता नहीं पाती
क्योंकि मैं डरती हूँ।
मैं सब जानती हूं
इस लड़ाई को जीत जाऊँगी।
लेकिन क्या पता इस उम्मीद के पीछे
एक हार छुपी है मेरी।
एक दिन शायद उसे
मेरी मोहब्बत का अहसास हो।
वापस से मुड़कर फिर से
मुझे ओ आवाज दे।
इसी उम्मीद में जीती हूँ।
जो सोचती हूँ।
ओ जता नही पाती
क्योंकि मैं डरती हूँ।
एक दिन काली घनी अंधियारी में
किसी ने आवाज दिया।
दौड़ कर आई तो
केवल मेरा वहम था।
सिर्फ उसकी परछाई थी।
मैंने उसी परछाईं से सब कुछ
बोल डाला जो मेरे दिल मे
आज तक दफन कर दिया था।
ओ प्यार ओ अहसास उसे
खींच कर मेरे तक ले आया।
आज तनिक भी देर न किया हमने
जो जुबा पर आया।
ओ सब कह डाला।
आज भी वही मोहब्बत है।
प्यार सच्चा था।
ओ मुझे मिल गया।
मैंने भी उसने भी मिलकर कसमें खाई।
अब कभी भी हम दोनों
एक दूजे से कभी अलग नही होंगे।
उस ईश्वर को बहुत बहुत शुक्रिया
जिसने मेरी मोहब्बत को मुझसे
पुनः मिलवाया।
नहीं तो आज भी
मैं तन्हा
अकेली कैसे अपना जीवन गुजारती।
आज मन मे हिम्मत आयी।
और मैंने जो सोचा
ओ जताना शुरू कर दी।
आज मेरी मोहब्बत का दिन है।
अब मुझमें हिम्मत है
मैं कह सकती हूँ।
मैं अब नही डरती हूँ।
क्योंकि आज मेरा महबूब मेरे
साथ है।
मेरी बाहें थामें
मेरे कदम से कदम मिलाए।
अब नहीं डरती हूँ।
अब दुनिया से लड़ सकती हूँ
क्योंकि मेरी मोहब्बत मेरे साथ है।