ख्वाहिश
ख्वाहिश
चार दिन की है ये जिंदगी
पल दो पल की खुशियां।
बिछड़के आपसे ना हम रह पाएंगे
बह जाएगी आँसुओं की नदियां।
हर जख्म पे हो मरहम आप
हर सावन की रैना हो आप।
पत्थर की मूरत पे जान हो आप
मेरी हर मंज़िलों की राह हो आप।
एक मासूम गुजारिश है
परिंदो को उड़ने की ख्वाहिश है।
हर लम्हा बेइम्तहाँ प्यार कर पाऊँ
गुजरते हुए लम्हों को समेट लूं।
और बाहों में आपको भर सकूँ
एक छोटी सी आस में जीये जाता हूँ।