भोजपुरी कविता (खोईंछा)
भोजपुरी कविता (खोईंछा)
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खोईंछा भर चाउर में माई
हरदी के गाँठ संघे
का का दिहलु,
रुपिया त देखात
संघे अचरा भर आशिष है
संघे मनभर निहोरा है
संघे नून जइसनआँसू है
संघे खाँची भर के सबर है
गाँठ अइसन जईसे माई के
मन के थाह बांध दिहलु
ए माई प हेतना बरस भईल तबो
उहे दिहलु जॉन पहिलखा
बेर देहले रहलू
याद क लिहिनी माई
घर उ ना
ई ह हमार
तब्बो खोईचा खिंचे ल
मन आजो एइजा
ए संघे रहे लू आजो
जईसे अचरा के कोन
में बन्धल खोईंछा