यमुना का दर्द
यमुना का दर्द
चित्रगुप्त, आज मैं अपनी बहन यमुना से मिलने धरती लोक जाऊंगा, क्या तुम मेरे साथ चलोगे ?_यमराज ने उतावले होते हुए पूछा।
क्यों नहीं महाराज(मुस्कुराते हुए) चित्रगुप्त ने कहा, परंतु महाराज धरती से यमलोक आए प्राणियों का लेखा जोखा कौन देखेगा ?(चित्रगुप्त ने संशय व्यक्त किया)
"ऐसा करते हैं हम अपना प्रतिरूप वहां छोड़ देते हैं, जैसे आज के युग में पृथ्वी वासी अपनी कार्बन कॉपी बनाते हैं"_, यमराज ने कहा।
अरे वाह! महाराज, ये तो बहुमूल्य विचार हैं।
फिर देर किस बात की चलिए।
दोनों एक कमरे में गए, वहां उनका एक पुतला रखा था, उसमें मंत्र की शक्ति से जान फूंकी और उनके सर पर हाथ रख अपनी जैसी शक्तियां उनमें डाल दी।
चित्रगुप्त ने फिर सशंकित स्वर में पूछा _महाराज क्या हम भैंसे पर जाएंगे ?
अब ये भारत बहुत विकसित हो गया है, ढंग के कपड़े बदल लीजिए वरना वहां के लोग हमें सर्कस में डाल देंगे और अच्छा वाहन सोचिए अपनी यात्रा के लिए।
सही बात, चित्रगुप्त लेकिन कौन से वाहन का प्रयोग करें ?
अभी तो हम इसी से यमलोक से चलें और धरती जाकर, मैं अपने भैंसे को मशीन में बदल दूंगा, ।
बहन के लिए कुछ ले लूं, बहुत दिनों बाद मिलना होगा।
ठीक है, कुछ मणि माणिक्य ले लेते है।
ऊपर से भारत कितना सुंदर दिख रहा है, कितनी सुंदर इंद्रधनुषी रोशनी दिखाई दे रही है।
"हां, महाराज आप सच कह रहे हैं, काम में लगे होने के कारण कभी ध्यान ही नहीं दिया, जहां की धरती पर अपने नारायण बार बार अवतार लेते हैं कुछ तो बात होगी वहां" _चित्रगुप्त ने उत्तर दिया।
वे दिल्ली उतरते हैं, चारों ओर भाग दौड़, किसी को किसी के लिए फुर्सत नहीं।
जाड़े की सुबह थी, लेकिन कोहरा इतना छाया था कि हाथ को हाथ दिखाई नहीं दे रहा था, दोपहर होने को थी, लेकिन सूर्य देव के दर्शन नहीं हुए थे।
दोनों की आंखें गाड़ियों की लाइट से चौंधिया रहीं थी।फैक्ट्रियों का धुंआ उन्हें शक्तिहीन कर रहा था।चारों ओर प्रदूषण से धुंध छाई हुई थी।
चित्रगुप्त मुझसे तो सांस भी नहीं लिया जा रहा _, यमराज ने कह।
"प्रभु मेरा भी यही हाल है"_, चित्रगुप्त ने हामी भरी।
दोनों पार्क में एक बेंच पर जाकर बैठ गए। वहीं पास में एक लड़का बैठा था, अचानक वो उठा और यमराज के गले में पड़ी माला को खींच कर भागने लगा।
अरे चोर चोर...., दोनों उसके पीछे दौड़े।
वह भागता हुआ एक बस्ती में पहुंचा।दोनों ने उसे पकड़ लिया।
तुम कोई काम नहीं करते ?, तुम्हें पता है चोरी करने पर तुम्हें यमलोक जाने पर क्या दंड मिलेगा ?
लड़का हंसने लगा ......।
वे दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगे।
तुम हंस क्यों रहे हो ?आखिरकार चित्रगुप्त ने पूछा।
अरे यार! तुम लोग एक तो पता नहीं किस चिड़ियाघर से आए हो, अनोखे से लग रहे हो ऊपर से मरने के बाद यमलोक में दंड की बात कर रहे हो, पहले कुछ यहां खाने को मिल जाए।
देखो भाई अब जब तुमने मुझे पकड़ ही लिया है तो, अपनी ये माला ले लो, और अपना रास्ता नापो ।तुमलोग काफी पकाने वाले लग रहे हो।मेरा समय बेमतलब का बरबाद मत करो, मैं कहीं और से आज के खाने का जुगाड़ करूं।
अरे भाई तुम ये माला ले लो, लेकिन हम दोनों थोड़ी देर तुमसे बात करना चाहते हैं_, निवेदन करते हुए चित्रगुप्त ने कहा।
उस लड़के को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वो मन ही मन सोच रहा था कि इन्होंने मुझे पकड़ लेने के बावजूद भी न पुलिस के हवाले किया न ही माला लेने में अपनी दिलचस्पी दिखाई, लगता है मालदार बेवकूफ मुर्गा हाथ लगा है।
यमराज ने पूछा क्या सोच रहे हो बच्चे ?
वो सकपका कर बोला _कुछ नहीं ?
चलो यहीं नुक्कड़ पर चाय की दुकान है, वहीं बैठ कर बात करते हैं, पूछो क्या पूछना चाहते हो ?यहां नए आए हो क्या ?
दोनों चाय की दुकान पर गए और लड़के ने चाय बनाने को कहा और तीनों बैठ गए। लड़के ने अपनी जेब से पान मसाला निकाल खाने लगा, एक अजीब सी महक आसपास फैल गई।
यमराज ने अपना मुंह बनाया, चित्रगुप्त ने नीचे से पाउच उठा कर पढ़ा तो, आश्चर्य से लड़के की ओर देखा और कहा_इसे क्यों खा रहे हो, इससे तो कर्क रोग हो सकता है।
लड़के ने बेफिक्री से कहा _अरे छोड़ो ना यार ।
यमराज ने कहा _, अच्छा बताओ तुम चोरी क्यों करते हो ?
लड़का थोड़ा दार्शनिक होकर बोला_यहां इतनी जनसंख्या है कि नौकरी नहीं है, एक नौकरी का विज्ञापन निकलता है, तो हजारों में लोग आ जाते हैं।
तुम पढे लिखे हो ? चित्रगुप्त ने पूछा।
हां, जानते हो !गांव से शहर आया कि नौकरी मिलेगी, लेकिन यहां कोई नौकरी नहीं मिली, माता पिता बीमार हैं, घर में 4, 4बहनें हैं तो मैं चोरी न करूं तो क्या करूं ?
उसकी बातें सुनकर यमराज बहुत भावुक हो गए उन्होंने कहा _ देखो बच्चे, चोरी करना गलत बात है, नौकरी नहीं मिल रही तो, तुम्हारे अंदर कोई हुनर हो तो उसका उपयोग करो और ये सब हानिकारक वस्तुओं का उपयोग मत करो, तुम्हारे परिवार को तुम्हारी जरूरत है, इतना कह कर यमराज ने एक मणि उसकी ओर बढ़ा दी और उसे कामयाबी का आशीर्वाद दिया।
वो लड़का ईश्वर का बार बार धन्यवाद कर रहा था, उसे वो दोनों अब देवदूत की तरह लग रहे थे।
उससे विदा हो, वे बहन यमुना के तट पर पहुंचे।
बहन..बहन....।कुछ देर पुकारने के बाद एक दम
काली, झाग से लिपटी यमुना निकल कर आई तो दोनों को विश्वास नहीं हो रहा था।
अरे बहन! तुमने ये क्या हाल बना लिया है ?
भैया.....वो यमराज से दौड़ लिपट गई।कितने दिनों के बाद मेरी याद आई_यमुना ने रूठते हुए कहा।
अरे नहीं बहना हम तो तुझे हमेशा ही याद करते है, पर समय का अभाव रहता है।
बहुत कुछ बदल गया है इस धरती पर _यमराज ने कहा।
हां भैया बहुत कुछ बदल गया, चलो घर आराम से बैठकर बातें करेंगे _यमुना ने दोनों का हाथ पकड़ते हुए कहा।
बहन ने उन्हें खाना खिलाया, यमराज ने बजे मणि माणिक्य बहन को भेंट दिए।पुराने दिनों को याद कर तीनों खूब हंसे, लेकिन यमराज को अपनी बहन की दयनीय स्थिति बार बार परेशान कर रही थी।
आखिर फिर से वही प्रश्न दुहराया यमराज ने _बहन तुम्हारा हाल ऐसा कैसे।
भैया ........बहुत बुरी हालत है मेरी, बहन गंगा की, और बहन नर्मदा, गोदावरी, कावेरी सभी की।
धरतीवासियों ने दुनिया भर का रासायनिक कचरा, सीवर और भी बिना नष्ट होने वाली वस्तुएं हमारे अंदर डाल दी है अंदर तो इतना प्लास्टिक भरा पड़ा है जो मेरे अंदर पल रहे जीवों की जान ले रहा है, इतना तक की सूक्ष्म बैक्टीरिया और वायरस भी इन कचरों को खत्म करने में असफल हो रहे ।
देख लो, सरस्वती दीदी कब का धरती छोड़ पाताल में बहने लगी हैं, लगता है हमारा भी ऐसा ही हश्र कुछ समय बाद होने वाला है।
पर ऐसा क्यों हो रहा है ? तुम सब तो धरतीवासियो को जीवन देती हो, तुमसभी के तट के पास ही तो संस्कृतियां फलती फूलती हैं, फिर क्यों ऐसा हो रहा है तुमलोगाे के साथ।
बड़ी कहानी है भैया।
ये धरतीवासी अज्ञानी हैं, वंश वृद्धि के लिए अंधाधुंध बच्चे पैदा कर रहे हैं।यहां लड़का, लड़की में भेद मानते हैं, कहते हैं लड़का कुलदीपक होता है, लड़कियां पराया धन।
कुछ लोग तो इस प्रजनन शक्ति को मशीनी बना दे रहे।पहाड़ों का सीना छलनी किया जा रहा है, नदियों पर बांध बनाए जा रहे है।तुम्हें तो पता ही होगा की 2013 का केदारनाथ हादसा _यमुना ने कहा।
अरे हां उस समय तो यमलोक में भीड़ ही लग गई थी।हमें उनके कर्मों का लेखा जोखा देखने में बहुत समय लगा था।
हां भैया, गंगा दीदी ने उस समय अपना रौद्र रूप दिखाया था, तब भी ये धरती बासी नहीं चेते, अब देखो जोशीमठ पूरी तरह से खत्म हो रहा है।
महासागरों को ये मनुष्य दूषित करने में पीछे नहीं है, अब इनका हमारे साथ अंत निश्चित है, बिना पानी, हवा के सब कुछ खत्म हो जाएगा।
जानते हो मैने सुना है कि भारत जनसंख्या में अब 2023 तक पहले नंबर पर आ जाएगा। रोजगार के लिए नित नए फैक्ट्री लग रहे और मनुष्य जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कर उसका दोहन कर रहा।जिससे वह तो समाप्त हो ही रहा बल्कि प्रदूषण से बच्चे मानसिक विकार सहित पैदा हो रहे।
मेरा पानी अब जीवनदाई नहीं रोगदायी होता जा रहा।
मेरा दम घुट रहा है भैया, अब मैं अपना आकार कम कर रही हूं।पानी के अभाव में ये धरतीवासी एक दूसरे से लड़ झगड़ के मारे जाएंगे।पेड़ पौधे लगातार शहरीकरण से कट गए हैं तो अब कार्बन उत्सर्जन से लोगों का दम निकल जाएगा।
यमराज और चित्रगुप्त बहुत देर तक शांत रहे उनके मुख से कुछ निकल नहीं रहा था।उन्हें पता नहीं था कि इस सृष्टि को अनजाने में विकास के नाम पर मनुष्य खत्म करने पर तुला है।वो तो दिन प्रतिदिन मनुष्यों के यमपुरी पहुंचने पर चिंतित थे लेकिन उसके कारण से अनजान।
थोड़ा समय इधर उधर की बातें कर दोनों वापसी के लिए तैयार हो गए।
यमुना का भी कुछ देर के लिए मन प्रमुदित था, अपने भाई से मिल कर लेकिन वो उन्हें रोक भी तो नहीं सकती थी।आखिरकार दुखी मन से दोनों विदा हुए, इस दिलासा को दिलाते हुए कि जल्दी ही तुम्हारी और धरती की समस्या से श्री हरि और पिता सूर्य को अवगत कराएंगे।