ये कैसा इम्तिहान ?
ये कैसा इम्तिहान ?
सुधा -
"पतंग आपकी कोई काट न सकें
हमको आपसे कोई बांट न सकें
बंधी रहे हमारे बीच वही डोरी
जो आज तक कोई नाप न सकें "
हैप्पी मकरसंक्रांति
कृष्णा - 👎👎👎 ,
सुधा - "जाइए अब बात नहीं करूंगी आपसे"
कृष्णा - 👏👏👏
सुधा - मैं बात नहीं करूंगी लेकिन इरादा नहीं बदलूंगी अपना, हमेशा हमेशा करती रहूंगी प्यार बेशुमार.... आप चाहें या न चाहें हम तो करेंगे आपसे ही प्यार ....
" कृष्णा - "अगर मैं ही ना रहूं तो .....? "
सुधा - "ऐसा नहीं बोलिए , आप रहिए और हमेशा हमेशा रहिए।
कृष्णा - "तुम तो यही चाहती हो न की मैं ना रहूं ? क्यों मुझे परेशान करती हो ? "
सुधा - "परेशान कहां , मैं तो प्यार करती हूं।"
कृष्णा - "तुम मुझे कुछ नहीं करने देती हो , नकारा बना दिया है । पागल हो गया हूं मैं तो ।"
सुधा - ओके , "अब नहीं करूंगी आपसे प्यार , कभी नहीं करूंगी ।"
कृष्णा - "तुम तो झूठी हो एक नंबर की सदियों से झूठ बोलती आ रही हो कैसे करूं तुम्हारा यकीन ?"
सुधा - अब क्या करूं "जो आप मुझ पर यकीन कर लें ? "
कृष्णा - "मेरी तस्वीर पर अपने हाथों से माला पहनाकर फोटो पोस्ट करो तब यकीन करूंगा ।"
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कृष्णा - अगर "तुमने ऐसा नहीं किया तो जाहिर है कि तुम झूठी हो और हमेशा झूठी ही रहोगी । "
सुधा - कितना मुश्किल में डाल दिया है मुझे ? कैसे कर पाऊंगी यह ? मैं आपसे दूर हो जाऊंगी , मैसेज नहीं भेजूंगी तब तो कभी याद नहीं आऊंगी न ? और ना कभी मेरी शक्ल आपके सामने आएगी ? फिर तो आप खुशी-खुशी रहेंगे न ?
कृष्णा - लेकिन तुम ऐसा कर नहीं सकोगी ।
सुधा - अगर आपकी जिंदगी और अपनी बेहुदा जिद्द में से किसी एक को चुनना पड़ेगा तब तो आपका जिंदा रहना ही चुनूंगी न ?
कृष्णा - मुझे यकीन नहीं है ....
सुधा - ओके, मैं ही तो हूं सारी फसाद की जड़ इसलिए मैं ही नहीं रहूंगी । आपको फिर गुस्सा भी नहीं आएगा ।