"तू कौन ? मैं खामख्वाह" ? बहुत प्रचलित कहावत है ये सखि । "तू कौन ? मैं खामख्वाह" ? बहुत प्रचलित कहावत है ये सखि ।
ये कहानी एक लड़की की है जिसकी प्रेरणा वह स्वयं और उसकी मां है। ये कहानी एक लड़की की है जिसकी प्रेरणा वह स्वयं और उसकी मां है।
वे वहां के जनजीवन के बारे में हमसे खूब जानकारी करते। वे वहां के जनजीवन के बारे में हमसे खूब जानकारी करते।
तो एक बात बताओ सखि, ये न्यायालय क्यों खोल रखे हैं इतने सारे। तो एक बात बताओ सखि, ये न्यायालय क्यों खोल रखे हैं इतने सारे।
अब ना तो अंतरात्मा जिंदा है और ना ही कोई उसकी आवाज सुनता है। अब ना तो अंतरात्मा जिंदा है और ना ही कोई उसकी आवाज सुनता है।
31 दिसंबर की रात सब मिलकर पूरी रात ही धमाचौकड़ी मनाते थे। 31 दिसंबर की रात सब मिलकर पूरी रात ही धमाचौकड़ी मनाते थे।