वृक्षारोपण पर रोक
वृक्षारोपण पर रोक
लावनी जंगल शहर के कोने में बसा एक खूबसूरत जंगल था। यहाँ सबसे ज़्यादा बंदर पाए जाते थे। अभी तक इस जंगल को किसी वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत नहीं लिया गया था। इसलिए यहां इंसान ना के बराबर ही आते थे।
जंगल के पशु - पक्षी भी इस बात से खुश थे। बंदरों का सरदार बाला एक बहुत ही समझदार और सुलझा हुआ राजा था। उसके राज्य में सभी बंदर एक होकर रहते थे। जंगल में खूब हरे भरे पेड़ थे। बहुत से वृक्ष तो फलों से हमेशा लदे रहते थे। इसलिए किसी को भी खाने की कमी कभी महसूस नहीं हुई।
एक दिन राजा बाला का विशेष गुप्तचर कट्टु बंदर एक विशेष सूचना लाया।
"महाराज, जंगल में आज बहुत से इंसानों को घुमाते हुए देखा गया। उनके पास दूरबीन और अजीब से यंत्र थे।"
"हम्मम, ये चिंता जनक बात है। तुम उस इलाके में ही रहो। और हमें सूचित करते रहो। और हाँ उस इलाके में रहने वाले बंदरों से कहो कि कुछ समय के लिए वो जगह ख़ाली कर दें।" राजा बाला ने हुक्म दिया।
कुछ दिनों बाद कट्टु बंदर फिर से खबर लाया।
"महाराज, ये इंसान पेड़ों पर कुछ निशान लगा रहे थे। मुझे लगता है कि ये लोग पेड़ काटने आए हैं। अब क्या करें? जंगल कट गये तो बहुत नुकसान होगा।"
राजा बाला ने कुछ सोच कर बोला, "एक काम करो अपने अच्छे हट्टे कट्टे बंदर लेकर जाओ और इन लोगों को डराने की कोशिश करो। हो सकता है हम लोगों के होने के एहसास से वे लोग दोबारा ना आएं।"
कट्टु बंदर कुछ हट्टे कट्टे बंदरों को लेकर वहां गया और थोड़ा उत्पात मचाया। पर बंदरों को ये नहीं मालूम था कि इंसानों के पास पीटने के लिए बड़े बड़े डंडे तैयार थे।
कुछ बंदर घायल हो गए। कट्टु बंदर ने सबको इशारे से वापस चलने को कहा।
कुछ ही दिनों बाद उस इलाके में कार्य शुरू हो गया। इंसानों ने दस - बारह पेड़ काट दिए।
जब यह खबर राजा बाला तक पहुंची तो वह आग बबूला हो गया।
"पेड़ हमारे जीवन हैं। हमें रहने को घर और खाने को खाना इन्हीं से तो मिलता है। ऐसे कैसे ये हमारे घर उजाड़ सकते हैं।"
राजा बाला स्वयं पहुंचे उस जगह पर। वह देखकर बहुत हैरान थे कि इंसान ना केवल उनकी बल्कि अपनी ज़िंदगी भी नष्ट कर रहा है।
"यूं तो ये इंसान बहुत ही समझदार समझते हैं पर इन्हें ये तक नहीं पता कि प्रकृति के नियमों के विपरीत नहीं जाना चाहिए। पर हमें इन्हें अपना घर उजाड़ने से रोकना होगा।" राजा बाला ने कहा।
"महाराज हुक्म दें।"
"आज रात हम सब इनके जंगल से कुछ दूरी पर बनाए घरों पर हमला बोलेंगे। हो सकता है कि ये लोग डर जाएं।" राजा बाला ने कहा।
देर रात्रि राजा बाला अपने सिपाही बंदरों के साथ इंसानों द्वारा निर्मित टेम्प्रेरी घरों के पास पहुंचे। राजा बाला के इशारे पर सब बंदर उन सबके टेंट में घुस उत्पात मचाने लगे।
पहले तो सब बंदरों के डर से इधर उधर भागने लगे। पर फिर उनमें से कुछ लोगों ने उनके पास मौजूद रिवाल्वर निकाली और बंदरों पर फायरिंग करने लगे।
फायरिंग की आवाज़ सुन बंदर डर गये। पर उन्हें अपने घर की किसी भी कीमत पर सुरक्षा करनी थी। इसलिए वह फायरिंग के डर से भागे नहीं बल्कि और उत्पाती हो गये।
पर इंसानों ने उनपर गोलियां चलानी शुरू कर दी। इसी जद्दोजहद में एक गोली राजा बाला को भी लग गई। पर उसने गोली मारने वाले को झपट्टा मारा और घायल कर दिया। बाकी बंदर भी सबका सामना बहादुरी से कर रहे थे। लगभग एक घंटे बाद सब शांत हो गया। पर इन सबमें एक बहुत से बंदर मारे गए और बहुत से इंसान घायल हो गए।
बंदरों के मरने की वजह से कोर्ट ने उस जंगल की तरफ हो कार्य को रोक दिया। और इंसानों से बंदरों पर ओपन फायरिंग करने के लिए दंड लगाया।
राजा बाला और बहुत से बंदर जो वीरगति को प्राप्त हुए उनकी मौत बेवजह नहीं गई। उन्होंने अपने घर को और अपने पेड़ों को कटने से बचा लिया।
इंसान विकास के नाम पर अनगिनत पेड़ काट चुका है। पर वह यह भूल गया है कि विकास, पेड़ों को काटकर कभी नहीं मिलेगा। पेड़ और वन हमारा जीवन हैं। ये हैं तो हम हैं वरना हमारे जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है।