वो था अजनबी
वो था अजनबी
दरवाजे को कोई जोर जोर से पीट रहा था,रात के 1 बज रहे थे सारा परिवार गहरी नींद में सो रहा था।शैली की नींद खुली उसने घड़ी देखी रात के 1 बज रहे थे ,और बाहर तेज बारिश हो रही थी,बिजली कड़कने से दरवाजा पीटने की आवाज दब सी जा रही थी।
अंधेरे में चप्पल पहन ,स्विच टटोलते हुए बत्ती जलाई।कौन हो सकता है?, इतनी रात को वो भी इतनी बारिश में ,शैली सोच ही रही थी कि, एक बार फिर से एक थकी हारी आवाज सुनाई दी ,प्लीज जल्दी दरवाज़ा खोलिए,मेरी जान खतरे में है।
वो डर गई ,एक बार सोचा की पापा ,मम्मी को उठा दूं,लेकिन फिर उसके दिल ने दिमाग की बात नहीं सुनी,वह दरवाजे के पास पहुंच गई और उसने दरवाज़ा खोल दिया।
जख्मी हालत में एक युवक वहीं दरवाजे के पास भींगा हुआ पड़ा था।शायद अब बेहोश हो गया था।
शैली ने बाहर इधर उधर देखा चारों ओर सन्नाटा था।उसने पापा को आवाज लगाई ,दरवाजा खुलने की आवाज से उसके पापा मम्मी की नींद खुल गई थी वे दौड़े दौड़े दरवाजे के पास आए और वहां का नजारा देख हतप्रभ रह गए।किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
शैली डॉक्टर थी अभी अभी उसका एमबीबीएस खत्म हुआ था ,और वह अब अपने आगे की पढ़ाई के लिए तैयारी कर रही थी। पापा की मदद से वह उस युवक को घर के अंदर ले आई ।मम्मी ने जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया।
उसके पापा उसका मुंह देख रहे थे उनके मन में जो सवाल चल रहे थे शैली को समझ में आ रहा था,लेकिन उसका सारा ध्यान उस अजनबी शख्स को बचाने में लगा था।
फिर भी पापा ने कह ही दिया ,बेटा पुलिस को फोन कर दे ,पता नहीं क्या बात है,कौन इसके पीछे पड़ा था ,कौन है ये?
पापा फिलहाल इसे इलाज की जरूरत है प्लीज मेरा मेडिकल बॉक्स ले आइए।
पापा चुप रहे जल्दी जल्दी वे शैली का मेडिकल बॉक्स लेकर कमरे में आ गए।
शैली ने ढेर सारा कॉटन निकाला और उसके पेट में जहां से खून निकल रहा था लगा दिया ,उसने अपने दो दोस्तों को फोन किया जो वहां के अस्पताल में काम कर रहे थे ,उन्हें एंबुलेंस लेकर चुपके से आने को कहा। वे कोई सवाल करते उससे पहले उसने कह दिया जो भी पूछना होगा घर में पूछना।
दोनों दोस्त एंबुलेंस लेकर आ गए ।एंबुलेंस में सारे लाइफ सपोर्टिंग इक्विपमेंट होते हैं,और बहुत सामान दोनों दोस्त भी लाए थे जो जो शैली ने मंगाए थे।तीनों ने मिलकर जख्म पर दवा लगाई स्टिच किया ,करीब दो तीन घंटे की मेहनत के बाद उसका सही इलाज कर दोनों हॉस्पिटल रवाना हुए।शैली और उसके माता पिता की आंखों से नींद गायब थी ।
उन्हें चिंता हो रही थी , उस अनजान शख्स की।शैली ने कहा" मम्मी आपने बाहर धुलाई तो कर दी वरना खून देख लोगों को शक होगा। "
"अरे बेटा,शुक्र है कि तेज बारिश हो रही है ,खून पानी में धुल चुका है ,मुझे भी ऐसा लग रहा था इसीलिए मैंने पहले ही देख लिया था,जब तुम्हारे दोस्त आने वाले थे"_मम्मी ने कहा।
उनका घर चेन्नई पोर्ट से कुछ दूर पर था।पापा नेवी से रिटायर हुए थे।रात आंखों आंखों में कटी।
भोर होने को थी रात की बारिश अब बंद हो चुकी थी।अचानक कराहने की आवाज सुन सब चौंक गए,शायद उस शख्स को होश आ गया था।
सब उठकर उस शख्स के पास पहुंचे।
वह उठने की कोशिश कर रहा था।शैली ने उससे ऐसा करने को मना किया " मिस्टर आपका जो भी नाम हो,अभी आप ठीक नहीं हैं कृपया लेटे रहिए।
मुझे अपने बारे में आप सबको बताना है,आप सब सोच रहे होंगे ,मैं कौन हूं कैसे जख्मी हुआ?
शैली ने पापा की ओर देखा ,उन्होंने झट से हां कर दी "हां बेटा ये सवाल तो है हमारे मन में कल रात से ,लेकिन तू जब तक ठीक नहीं हो जाता हम इंतजार कर लेंगे।
कराहते हुए एक बार फिर वो अजनबी उठने की कोशिश करने लगा ,शैली आगे बढ़ी और तकिए को उसके पीठ के पास रख उसे उठने में सहारा देने लगी।
उसने कहा "पहले तो मैं आप सभी का शुक्रगुजार हूं जो आप लोगों ने मेरी जान बचाई,आप सभी का दिल से शुक्रिया।
मेरा नाम आनंद है, मैं एक न्यूज चैनल में क्राइम कवर करता हूं ,मुझे अंडरकवर एजेंट बना कर यहां चेन्नई पोर्ट भेजा गया था।
हमें खबर मिली थी कि, इस बंदरगाह से कई महीनों से मानव तस्करी की जा रही है एक खेप में कम उम्र की लड़कियों को कुछ उम्र दराज महिलाओ के साथ दुबई भेजा जा रहा है।
मैं भी तस्करी करने वाले गैंग में शामिल हो गया ,ये गैंग समय समय पर मुंबई,कोलकाता ,और चेन्नई तीनों बंदरगाहों का उपयोग करता है।
सबकुछ ठीक चल रहा था ,लेकिन जब लड़कियों को जहाज पर चढ़ाने का समय आया तो बॉस को किसी ने बता दिया कि मै एक अंडरकवर एजेंट हूं।उनके गुर्गों ने मुझे पकड़ लिया गया ,और मुझे एक कमरे में बंद कर दिया और मेरा कैमरा,मोबाइल छीन लिया ,और जहाज रवाना होने के बाद फिर आकर मुझे सजा देने की बात कह वे चले गए।
मैने पहले ही कैमरे में से चिप निकाल कर अपने जूतों के अंदर डाल लिया था।मौका देख , मैं किसी तरह उनकी कैद से निकलने में कामयाब हो गया,मुझे भागता देख उनके लोगों ने पीछा किया और आपके घर के पास चाकू से मुझ पर हमला किया ,मैं गिर पड़ा ।तभी पुलिस के गाड़ी की सायरन सुन वे भागे ।मैं धीरे धीरे उठकर घिसटता हुआ आपके घर तक पहुंचा ।
लेकिन चिप तो जूतों में नहीं थी,शैली ने आश्चर्य से पूछा ।आनंद ने बताया कि उसे मैने आपके गार्डन में एक गमले में छिपा दिया है।
"ठीक है ,आप बताइए हमें क्या करना है" _,शैली के पापा ने कहा।
सर आप इसे मेरे न्यूज चैनल में दे दें,मेरे पास मोबाइल नहीं है उन्होंने मेरा मोबाइल भी छीन लिया था_आनंद ने कहा।
आनंद जब तक पूरी तरह ठीक नहीं हुआ ,शैली के घर गुप्त उसका इलाज चलता रहा।शैली के पापा ने चिप न्यूज चैनल वालों को दे दिया ।न्यूज ,मीडिया में छा गई ,पुलिस पर उसके सरगना को पकड़ने का दवाब बढ़ गया ,अभी तक सबूतों के अभाव में पुलिस उस पर हाथ डालने से डरती थी ,अब पुख्ता सबूत थे गैंग के सरगना के खिलाफ उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
आनंद ठीक होते अपनी नौकरी पर वापस आ गया ,उसका प्रमोशन हो गया था ,लेकिन सुरक्षा के तहत उसने अपने आश्रयदाता के नाम का कहीं भी जिक्र नहीं किया ।
अब वो शैली के घर वालों के लिए अजनबी मुसाफिर नहीं था बल्कि आनंद एक रिपोर्टर ,उनका दामाद था।
क्रमशः