वो हँसता हुआ चेहरा
वो हँसता हुआ चेहरा
उसकी आँखों मे एक ही सपना था कि वह एक बार अपने सपनो को जी सकें लेकिन उसकी साँसें उसका साथ नही दे रही थी। उसका शरीर दर्द से दम तोड़ रहा था। उसका परिवार भी उसके पास नहीं था क्योंकि इस बीमारी ने अपनों को उससे दूर कर दिया था।
उसके साथ बस एक सपना ही रह गया था और वो था दुनिया के रंगों को बेरंग कैनवास पर उतार देना ताकि लोग उसके नज़रिए से दुनिया को देख सके और समझ सके कि दुनिया इतनी भी बेरंग नही जितनी उनकी अपनी ज़िंदगी।
आज उसका आखिरी ऑपरेशन था और उसकी पेंटिंग भी पूरी हो चुकी थी। जब वो ऑपरेशन थियेटर बाहर आई तो उसकी पेंटिंग के लिए तालियाँ बज रही थी और उसके लिए आँखें नम हो आई थीं क्योंकि पेंटिंग का वो हँसता हुआ चेहरा कैंसर से अपनी जंग हार चुका था।