Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Inspirational

4  

Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Inspirational

विजुगुप्सा

विजुगुप्सा

6 mins
274


होली और ईद एक दिन के अंतर में पड़ी थी दोनों त्योहारों को शांति पूर्ण तरीके से मनाने के लिए प्रशासन ने बड़े जोरो से तैयारी कर रखी थी।

कृष्णा और रौशन भी अपने पुराने बचपन के दिनों कि याद ताजा करने के लिए गड़ौरा आये थे। 

सिराज एव उनका परिवार तीस दिन के रोजे के बाद ईद मनाने के लिए जोरो से तैयारी कर रहा था रोशन एव कृष्णा सिराज से मिलने गए सिराज ने जब कृष्णा रोशन को साथ देखा तो कुछ देर के लिए उनके अंदर का कट्टर मुसलमान जाग उठा गुस्से से बोले बदजात तुझ्रे रोता विलखता गौरी की आग में झुलसा उठा कर लाया तुझ्रे इंसानियत का पाठ पढ़ाया तूने यही सिला दिया मेरी ही इज़्ज़त से खिलवाड़ किया।

कृष्णा रौशन सिराज कि बातों को सुनते रहे कोई जबाब नही दिया इसी बीच सिराज के चारो लड़के इकबाल मसूर, यूसुफ, और इरफान आ धमके और रौशन एव कृष्णा को देखते ही आग बबूला हो कर अनाप सनाप बोलते हुए गाली गलौज देते हुए मारने के लिए दौड़े सिराज ने रोकने कि बहुत कोशिश किया मगर उनका सारा प्रयास धरा का धरा रह गया।

सिराज के चारो बेटे यही कहते हुये कृष्णा और रौशन को पीठ रहे थे कि ऐसी बहन मर जाए जिसने गैर धर्म के इंसान के साथ शादी किया इसकी शक्ल हम इस्लाम परस्त को देखना दोजख में जाना है ईद के दिन खुदा के हुजूर में दोनों की कुर्बानी ही दे देते है तब जाकर हमारे कलेजे को ठंडक मिलेगी और बेरहमी से दोनों को पीटते जा रहे थे।

घर का माहौल बिगड़ता देख सिराज कि बेगम रुकसार तलवार लिए बच्चों के सामने खड़ी हो गयी और बोली कम्बख्तों तुम लोग मेरे और अब्बा हुजूर के टुकड़े टुकड़े कर डालो शायद ख़ुदा के हुजूर में जगह और जन्नत फ़रोस हो तुम लोगो को।

अम्मी का इतना भयानक रूप देखकर चारो भाई इकबाल, मंसूर, यूसुफ, इरफान सहम गए सिराज ने बच्चों को बहसियाना हरकत करने से रोकने की बहुत कोशिश की थी किंतु बच्चों ने उंसे जोर से धक्का दे दिया औऱ वह दीवाल से टकराकर एक किनारे बेहोश पड़ा हुआ था।

सिराज के बच्चों ने कृष्णा और रौशन को पीटना बन्द कर दिया किंतु तब तक पूरे गड़ौरा में बात फैल चुकी थी कि सिराज एव उनके बच्चों ने कृष्णा और रौशन को पीट पीट कर इस लिए मार डाला क्योकि हिन्दू आदिवासी ने उनकी लड़की रौशन मुसलमान को गुमराह कर भगा कर शादी किया है जो इस्लाम के खिलाफ बगावत है।

वातावरण तनावपूर्ण एव हिन्दू मुस्लिम दंगे कि आशंका हो गई प्रशासन के हाथ पैर फूल गए चारो तरफ अफरा तफरी का माहौल प्रशासनिक हड़कम्प पुलिस दल की गश्त और शायरन बजने लगे।

प्रशासन के मुखिया कलक्टर वार्ष्णेय एव पुलिस अधीक्षक मयूर कांत स्थिति से निपटने के लिए सभी प्रायास कर रहे थे स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी थी कि प्रशासन भी किंकर्तव्यविमूढ़ हो चुका था।

प्रशासन कृष्णा और रौशन के उपचार में कोई कोर कसर नही छोड़ रखी थी इस बात की सूचना किसी तरह से झरिया में डॉ तौक़िफ़ को मिली वह भागे भागे गड़ौरा पहुंचे और सीधे कलक्टर एव पुलिस अधीक्षक से मिलकर पुलिस हिरासत में सिराज रुखसार एव उनके चारो बेटो से मिलने की इल्तज़ा किया डॉ तौक़िफ़ ने प्रशासन को आश्वस्त किया कि कोई फसाद उनके मिलने से नही खड़ा होगा ना ही बढेगा प्रशासन ने हिन्दू प्रतिनिधियों कि उपस्थिति में डॉ तौक़िफ़ को सिराज एव उनके परिवार से मिलने की अनुमति प्रदान किया तौक़िफ़ एव हिंदुओ का प्रतिनिधि मंडल पुलिस हिरासत में सिराज के एव उनके परिवार से मिलने पहुंचा।

वहां पहुँचने पर डॉ तौक़िफ़ ने सिराज रुखसार इकबाल यूसुफ मंसूर इरफान से अपना औपचारिक परिचय दिया और बोलना शुरू किया उनका पहला शब्द था धर्म इंसानियत सिखाता है या हैवानियत सिराज बोले इंसानियत डॉ तौक़िफ़ बोले सिराज जी आपने खुदा के वसूलो पर चलने कि तालीम उम्र भर जाने कितने खुदा के बन्दों को दिया आपके सामने ही आपकी औलादे जेहादी कैसे हो सकती है आप तो धर्म खुदा कायनात इंसान इंसाफ मोहब्ब्त के आलम्बदार है फिर इतना खौफनाक मंजर कैसे होने दिया जिससे प्यार मोहब्बत कि जिंदगी में नफरत का जहर उगल दिया। 

ये तो जो आप लोंगो कृष्णा और रौशन के साथ गड़ौरा मे पेश आये है उसकी हकीकत अब आपके लिए यह जानाना बहुत जरूरी है कि रौशन को कृष्णा ने गुमराह करके भगाया या सच्चाई कुछ और है तो सुनिए।

रौशन ने खुद ही कृष्णा को इस बात के लिए राजी किया कि किसी और जगह चल कर अब्बा हुजूर यानी आप सिराज के सपनो के हकीकत के लिए ज़िंदगी की जंग लड़ी जाय और ये दोनों मेरे यहाँ पहुंचे इन्होंने मुझसे कुछ नही छुपाया बहुत स्प्ष्ट कृष्णा ने स्वंय को आदिवासी एव रौशन ने खुद को मुसलमान बताया हमने दोनों को तालीम एव जिंदगी जीने का अंदाज एव मेडिकल कि शिक्षा मुहैया कराई और दोनों के लिए क्लिनिक खोलवाई।

यह सच्चाई भी जानाना तुम लोंगो के लिए जरूरी है कि रौशन और कृष्णा साथ साथ ही रहते थे लेकिन तब तक दोनों ने एक दूसरे को नही छुआ जब तक दोनों का निकाह नही हो गया औऱ हिन्दू रीति रिवाज से विवाह नही हो गया और सुनो जो ट्रक वाला सिराज आप से मिला था उंसे पता देकर हमने और कृष्णा ने ही भेजा था।

झरिया में सज्जन सिराज को किसी ने नही देखा है लेकिन बच्चे बच्चे के जुबान पर यह नाम आम है इसी नाम से ना जाने कितने स्कूल खोल रखे है रौशन और कृष्णा ने इसी नियत से रौशन समझा बुझा कर कृष्णा को साथ ले गयी थी दोनों बहुत समझदार है ।

रौशन को मालूम था कि उसके अब्बा के अरमान दम तोड़ देंगे और वह गांव के पुल के नीचे रविवारीय स्कूल कि याद बन कब्र में सो जाएंगे और कयामत में खुदा भी उनकी बेबसी लाचारी पर तरस खा रहा होगा।

सिराज नेक नियत के इंसान खुदा के बंदे है उनकी इबाबत खुदाई और इंसानियत है रोशन और कृष्णा ने अपने अब्बा कि आंखों में उनके दिल में फलते फूलते अरमानों को पढ़ लिया और निकल पड़ी।

कृष्णा को खुदा कि मोहब्ब्त मान जो सच भी हुआ आप लोगो ने तो दोनों कि ऐसी हालत कर दी जैसे मोहल्ले के कुत्ते एक दूसरे से नफरत करते है एक ही मोहल्ले के इंसान एक दूसरे के सुख दुख में शरीक होते है तो वही मोहल्ले कि एक गली का कुत्ता दूसरी गली के कुत्ते को देखते ही झपट पड़ता है बिना यह जाने कि सम्भव है दूसरी गली का कुत्ता उसके लिए कुछ खास लेकर आया है या कोई मजबूरी इसे यहां लायी है ऐसे ही कहावत नही आम है कि #अपनी गली में कुत्ता शेर होता है# शेर तो शेर ही होता है जंगल मे हो या साम्राज्य में वह गली का# कुत्ता नही हो सकता जो अपनी गली में ही शेर बन सके# रौशन और कृष्णा सिराज के नेकी के लिए खुदाई सौगात है सिराज रुखसार इकबाल मंसूर यूसुफ इरफान कि आंखों से पश्चाताप के आंसुओ कि धारा बह रही थी तो प्रशासन के मुखिया कलक्टर वार्ष्णेय पुलिस अधीक्षक मयूर कांत के आंखे नम हो गई।

हिन्दू प्रतिनिधियों के कलेजे पसीज गए उनकी आंखें नम हो चुकी थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational