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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Comedy Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Comedy Inspirational

वीरांगना

वीरांगना

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💪वीरांगना💪
🤪 हास्य व्यंग्य 🤪
✍️ श्री हरि 
🗓️ 28.8.2025

आज सुबह जब मैंने अख़बार खोला तो मेरी आँखें ठिठक गईं। समाचार था कि राजस्थान की एक महिला ने 17वें बच्चे को जन्म दिया है। खबर पढ़कर मन प्रसन्न हो गया । आखिर राजस्थान की मिट्टी वीरांगनाओं की क्रीड़ा स्थली फिर से सिद्ध हो गई । 
वाह रे देश! जब लोग “परिवार नियोजन” के नाम पर बिना योजना जीते हैं, तब यह महिला जनसंख्या के मोर्चे पर फ्रंटलाइन योद्धा बनी हुई है।

इतिहास की किताबें कहती हैं कि शाहजहाँ की बेगम मुमताज़ महल महज़ 14वें प्रसव में ही अल्लाह को प्यारी हो गई थी। शाहजहाँ ने उसके ग़म में ताजमहल बनवा दिया।लेकिन यह राजस्थानी वीरांगना मुमताज़ से कहीं आगे है।
सत्रह प्रसव के बाद भी यह कोख की रणभूमि में अभी भी डटी हुई है। पता नहीं कहां तक जाएगी ? 🤪 
मुमताज़ के नाम पर ताजमहल है, तो इसके नाम पर "जननी महल" बनना ही चाहिए । 

आज की नौजवान पीढ़ी के लिए ऐसी वीरांगनाएं आदर्श स्थापित कर रहीं हैं । तुम तो “डबल इनकम, नो किड्स” का नारा लगा कर ज़िंदगी ऐश से बिताने का मन बना रहे हो।लेकिन यह वीरांगना तुम्हें खुला चैलेंज दे रही है—“नो इनकम, ऑल किड्स।”
और देखो, उसका मॉडल कहीं ज़्यादा सफल है।

आज की मॉडर्न जोड़ियाँ एक कुत्ता पालकर समझती हैं कि उन्होंने माता-पिता होने का धर्म निभा दिया।इधर यह वीरांगना हर दो साल में नया प्रोडक्ट लॉन्च करती है और समाज को ठोस योगदान देती है।

अब मेडिकल साइंस की किताबें कहती हैं कि 48 के बाद रजोनिवृत्ति होती है।
लेकिन इस वीरांगना ने साबित कर दिया कि राजस्थान की मिट्टी में रजोनिवृत्ति भी स्थगित हो जाती है। हौसलों की उड़ान का इससे बेहतर उदाहरण नहीं मिलेगा । 
डॉक्टर सोचते रह जाते हैं और यह हर दो साल में नया एडिशन छाप देती है।

नारीवादी संगठन चीख-चीख कर कहते हैं कि स्त्री शोषित है, पुरुष अत्याचारी है।
लेकिन इधर देखिए—पुरुष की औसत आयु 72 वर्ष है जबकि महिला की 75 ! तो अब आप खुद ही तय कर लीजिए कि कौए अत्याचारी है और कौन "बेचारी" ! 

इस वीरांगना ने अकेले ही “भारत की जनसंख्या नियंत्रण नीति” को धराशायी कर के अपनी वीरता सिद्ध कर दी है । 

दरअसल, आज का नारीवाद फाइव-स्टार सेमिनारों में भाषण देकर और फ़ोटो खिंचवाकर चलता है। नारीवाद सत्ता की मलाई खाने का हथियार बनता जा रहा है । वास्तविक नारी-शक्ति तो यही है—जो गाँव की झोंपड़ी में 17 बार अस्पताल की डिलीवरी रूम को ध्वस्त कर चुकी है।

और हाँ, आजकल के मी लॉर्ड्स को भी राजनीति करने का गजब का चस्का लग गया है । तभी तो डायस पर बैठकर राजनीतिक बयान जारी कर देते हैं । इससे और कुछ हो या नहीं, मीडिया की सुर्खियां जरूर बन जाते हैं ।
यह कार्यक्रम रिटायर होने के पश्चात भी चलता रहता है । राजनीतिक प्रतिबद्धता के चलते वे बार बार राजनीतिक बयानबाजी करते रहते हैं । क्या ये मर्यादित आचरण है ? पर मर्यादा की रक्षा करने के लिए न्यायाधीश थोडे ना बना जाता है, राज करने के लिए बना जाता है ।असल में  मर्यादा का पालन तो यह वीरांगना कर रही है—जिसने अकेले ही प्रजनन की मशाल जला रखी है । 

अब सोचिए, जब भारत की आबादी चीन से आगे निकलेगी तो उसमें इस वीरांगना का योगदान कितना निर्णायक होगा।
यह अकेली महिला अपने दम पर चीन की फैक्ट्री लाइन को चुनौती दे रही है।
सरहद पर भले ही सैनिक लड़ें, पर असली पॉपुलेशन वॉर तो इस वीरांगना की कोख में लड़ा जा रहा है।

मैं तो कहता हूँ, सरकार को चाहिए कि इस महिला को “भारत रत्न” से नवाज़े।
आख़िर, नेहरू की पंचवर्षीय योजनाएँ जहाँ बार-बार असफल हुईं, वहाँ इस वीरांगना ने दो वर्षीय योजना को बिना रुके, बिना थके, लगातार सफल बनाया है।

ऐसी वीरांगनाओं के रहते मुझे भरोसा है—भारत को कोई रोक नहीं सकता।
कम से कम जनसंख्या के मामले में तो हम जल्दी ही चीन से आगे निकल ही जाएंगे।
😄



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