Padma Agrawal

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विदेश यात्रा भाग 6

विदेश यात्रा भाग 6

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विदेश यात्रा ....छठा भाग


अवनी नाराज होकर हर्ष से लड़ पड़ी ... सर ऐसे नहीं हैं .... आपको तो हर काम फालतू लगता है ...आदि .... आदि... कैसे सच तो यह था कि मन ही मन में उस पर भी निराशा हावी हो रही थी ....

इस तरह के फालतू कामों की वजह से उसे अक्सर प्रिंसिपल सर के रूम में जाना पड़ रहा था ... विदेश यात्रा की लालच में वह उन्हें किसी भी तरह नाराज हो जाने का खतरा नहीं उठा सकती थी ....

     एक दिन सर ने उसके आर्टिकल की बहुत तारीफ की वह मन ही मन में फिर से विदेश यात्रा के सपने संजोने लगी थी .... इसी आस में वह प्रिंसिपल सर के इर्द गिर्द घूमती रहती थी .

एक दिन स्टाफरूम में बच्चों की क्लास की कॉपियाँ चेक कर रही थी , तभी नलिनी जी आईं और बोलीं , “अवनी जी , आज प्रिंसिपल सर ने उसी टॉपिक पर ऑर्टिकल लिखने को मुझसे कहा है ...”

“हाँ , उन्होंने कहा तो था कि कई लोगों से लिखवायेंगे ...”

“आपका लेख तैयार हो गया ?”

“हाँ , मैं तो सर को दे भी चुकी हूँ ...सर ने तो मेरे ऑर्टिकल की बहुत तारीफ भी की है ...”

“तुमने कौन कौन से प्वायंट्स कोट किये हैं ... “

एक पल को वह ठिठकी थी , फिर फाइल खोल कर दिखा दी ... लेकिन जाने क्यों आज उसे ऩलिनी जी के इरादे अच्छे नहीं लग रहे थे ....वह विदेश जाने के बारे में जान चुकीं थीं , और अक्सर उन पर कमेंट पास किया करती थीं .... जो उन्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था ....

“अवनी जी अब तो सुधर जाइये ...जर्मनी की उड़ान भरने वाली हो .... कभी तो पार्लर चली जाया करिये ... एकदम झल्ली सी बनी रहती हैं .... ये ठीक है कि भगवान ने आपका रूप फुर्सत से गढ़ा है ... और खूबसूरती से आपकी झोली लबालब भरी हुई है फिर भी समय के अनुसार थोड़ा बन ठन के तो रहना ही पड़ता है .....”

अवनी को उनकी टोन बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी लेकिन आपसी संबंध न बिगड़े , इसलिये वह मुस्कुरा दिया करती थी .....

“तुम्हारा पासपोर्ट बन कर आ गया ....”

“अभी तो नहीं .... “

“मेरा तो अगले साल एक्सपायर भी हो जायेगा फिर रिन्यू कराना पड़ेगा ... एक न एक झंझट लगा रहता है ....कहते हुए वह चली गईं थीं ....”

लगभग 35-36 साल की नलिनी जी सांवले रंग की फैशनेबिल महिला थीं .. स्लीवलेस टॉप और स्कर्ट उनका मनपसंद पहनावा था ...कटे हुए कंधे तक लहराते सेट किये हुए बाल ... चेहरे पर गहरा मेकअप .... होठों पर डार्क लिपिस्टिक ... कानों में हमेशा मैचिंग इयरिंग्स .... नेलपॉलिश से रंगे नाखून और ज्यादातर मैचिंग हील दार सैंडिल उनकी पहचान थी ... पता नहीं क्यों इतना लॉउड मेकअप देख कर उसे उबकाई सी आती थी ... हर्ष का कहना था कि तुम्हारे मन में उनके प्रति ईर्ष्या या हीन भावना है , इसलिये वह तुम्हें नहीं अच्छी लगतीं परंतु पुरुष वर्ग तो उनसे बात करने के लिये लालायित रहता और उनके साथ कॉफी पीने के लिये लोग आंखें बिछाये रहते थे ....

नलिनी जी को देख कर उसका भी मन कई बार मचल उठता था कि वह भी कुछ वेस्टर्न ड्रेसेज पहने लेकिन उस पर तो आदर्श भारतीय नारी बनने का भूत सवार रहता था ... हर्ष अक्सर उससे स्कर्ट या वेस्टर्न ड्रेसेज खरीदने को कहता तो वह चिहुँक कर कहती ... नहीं हर्ष .... या फिर अनसुना कर देती थी .

                            

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क्रमशः



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