Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Action

2  

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Action

“वाइसाइकिल”(संस्मरण )

“वाइसाइकिल”(संस्मरण )

2 mins
78



बचपन से ही मुझे अद्भुत कुछ करने को जी करता था ! सिनेमा देखना ,कब्बाली प्रतियोगिता ,नाटक ,खेलकूद ,जादुई करिश्मा ,बाइसाइकिल शो ,सर्कस इत्यादि मेरे आकर्षक के केन्द्रबिन्दु होते थे ! इसकी अमिट छाप मेरे मनोमस्तिष्क पर छाई रहती थी ! सपने में मैं इन्हीं दुनिया में खो जाता था ! मेरे बचपन के दोस्त इन सब की कहानियाँ बड़े चाव से सुनते थे ! सिनेमा की कहानियों को मैं हूबहू कहता था ! मुझे याद है सन 1961 में डांगालपाड़ा ,नगरपालिका प्राइमेरी स्कूल ,दुमका में मैं पाँचमी कक्षा में पढ़ता था ! हमलोग जमीन पर बैठकर पढ़ते थे ! कोई सुविधा नहीं थी ! ना टेबल ना बैंच किसी क्लास में हुआ करते थे ! टीचर के लिये एक कुर्सी होती थी ! हमारे क्लास के एक -एक लड़के और लड़की की हरेक दिन ड्यूटी होती थी कि क्लास टीचर को पंखा झेलते थे ! और क्लास टीचर ठंडी -ठंडी हवा खा कर सो भी जाते थे !यही एक मौका होता था क्लास से कट मारने का ! मेरे स्कूल के पास ही ,अंग्रेजों के जमाने से एक गांधी मैदान था और अभी भी है ! उन दिनों बाइसाइकिल शो हो रहे थे ! एक गोलाकार मंच बना था ! लाउड स्पीकर बजते थे ! और एक आदमी लगातार तीन दिनों तक बाइसाइकिल चलाता रहता था ! दिन रात बाइसाइकिल पर ही रहता था ! खाना ,पीना और दैनिक परिचर्या उसी पर करता था ! मैं स्कूल से भागकर उसके करतब को देखता था !कभी सर्कस का अनुकरण किया तो कभी सिनेमा में जॉनी वाकर को देख कर ! आज मैं इस दौर में भी कुछ कर लेता हूँ ! यह आपलोगों का प्यार है !


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action