NOOR EY ISHAL

Drama Action

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NOOR EY ISHAL

Drama Action

वाॅच

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"सीमा बहुत मोटी हो गयी है इसीलिए इसके अबॉर्शन हो रहे हैं। थोड़ा अपना वज़न कम करे।" शैलेश की चाची ने शैलेश की माँ के कान में सीमा के खिलाफ़ अपनी कड़वाहट को उगल दिया था। घर में शादी का माहौल था।शैलेश के भाई का विवाह हो रहा था। सीमा घर के सारे कामों को बहुत अच्छी तरह सम्भाले हुए थी। 

सभी मेहमान आ चुके थे।सीमा के परिवार से भी सभी लोग आ गए थे। शाम की चाय पर वही सारा ज़हर सीमा की सास ने सीमा की माँ के सामने निकाल डाला। जिससे सीमा की माँ बहुत दुःखी हुईं जबकि वो देख रही थी किस तरह से उनकी बेटी अभी अपनी सेहत की परवाह ना करते हुए अपने देवर की शादी के सारे काम सम्भाले हुए है और शैलेश की चाची , माँ और सभी रिश्तेदार सिर्फ बैठे हुए हैं और कामों में लगी उनकी बेटी में बस कीड़े निकाल रहे हैं। 

सीमा की माँ ने अपने मन में कहा, "मेरे रब तू ही हर बुराई का बहुत अच्छा जवाब देने वाला है।मैंने सब कुछ तुझ पर छोड़ा।" शादी बहुत अच्छी रही। सभी रिश्तेदार खुश होकर वापस गए। 

वक़्त गुज़रा वक़्त के साथ सीमा की गोद में रब ने दो प्यारे बच्चे दे दिये। बच्चे होने के बाद सीमा की माँ ने सीमा की सास की ये बात ऐसे ही बातों बातों में सीमा को बतायी। सीमा बहुत हैरान हुई उसे गुस्सा भी आया पर उसने सोचा कि सबसे अच्छा जवाब रब ही देता है। बस हमें अपना काम करते रहना चाहिए।कौन क्या कह रहा है सब कुछ वही सम्भालने वाला है। कुछ साल के बाद शैलेश की चाची के लड़के की शादी हुई। 

चाची जी के यहां शादी के खाने में बहुत बहुत बुरा इन्तेजाम हुआ। बहुत से लोग भूखे ही वापस चले गये। शादी के दिन लड़की वालों के यहां बहुत अच्छा खाना था लेकिन रात की शादी होने के कारण लाइट्स पर बहुत सारे कीड़े आ रहे थे जो लगभग सभी की खानों की प्लेट्स में गिर रहे थे।सभी मेहमान खाना अच्छा होते हुए भी खाना सही से नहीं खा पा रहे थे। चाचीजी की बहू का मोटापा शादी के समय ही लोगों की नजरों में आ गया था। हालांकि चाची जी का बेटा भी मोटा था मगर दुल्हन चाची के बेटे से भी मोटी थी।सब रिश्तेदारों की ज़ुबान पर यही था कि, "उफ्फ , दुल्हन कितनी मोटी है।"दुल्हन सुन्दर थी मगर उसकी सुंदरता पर उसका मोटापा भारी पड़ रहा था।

 चाची जी के लड़के के रिसेप्शन में भी कीड़ों का यही हाल था। लेकिन इस बार यहां खाने के पास की सारी लाइट्स बंद करवा दी गयी थी तो कीड़े इस बार खाने पर तो नहीं थे मगर पूरे लॉन में कीड़ों ने मेहमानों की नाक में दम कर दिया था। रिसेप्शन ख़त्म होने के बाद सीमा की सास चाची से बोलीं, "चलो तुम्हारे यहां भी सब ठीक से हो गया।" सीमा ने कहा, "पूरी शादी में बस कीड़े बहुत परेशान करते रहे ।" तुरंत चाची जी अपने बचाव में बोलीं, "लाइटिंग और डेकोरेशन वाले कह रहे थे कि ये तो प्राकृतिक प्रकोप है इसमें आप कुछ नहीं कर सकते हैं।" 

सीमा मुस्कराने लगी लेकिन उस मुस्कराहट को छुपाने के लिये वह अपनी कलाई में बँधी वाॅच देखने लगी और मन में सोचा," चाची जी जब सारी ज़िंदगी सबमें कीड़े निकालोगी तो कीड़ों का प्राकृतिक प्रकोप तो पड़ना ही था। ये समय की वाॅच है जो सबसे हिसाब सही समय पर ले लेती है" 

रिश्तेदारों ने भी चाची जी को पूरी शादी में बदइंतजामी के लिए खूब ताने दिए। सीमा बस यही सोच रहीं थी कि चाची जी की कड़वी बातों पर कभी ना मैंने कुछ कहा और ना शैलेश ने कुछ कहा लेकिन वक़्त ने सही समय पर चाची जी को खूब सही और बढ़िया जवाब दे दिया था।


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