Vimla Jain

Inspirational

4.3  

Vimla Jain

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उस नन्हीं परी की कातर नजर

उस नन्हीं परी की कातर नजर

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मां बाप ने अपनी प्यारी सी गुड़िया का नाम परी रखा था। मगर एक एक्सीडेंट में मां बाप की मृत्यु के बाद उसको रीमा के हवाले कर दिया गया और रीमा हमेशा उसको अनचाही जिम्मेवारी मानकर उससे अच्छा व्यवहार नहीं करती थी। मगर आज रीमा मार्केट में खरीदी करने निकली। उसके जेहन में बार-बार में उस छोटी सी बच्ची,जो उसके यहां जबरदस्ती रहने आई है, क्योंकि उसकी मां बाप एक एक्सीडेंट में चल बसे ।

और परिवार में दूसरा कोई संभालने वाला नहीं है तो छोटे भाई की इकलौती बेटी होने के कारण उसके पति उसे घर ले आए । और उससे पूछा तक नहीं। उसकी खुद की भी उसी के बराबर की एक बेटी है। 7 साल की बच्ची और 8 साल की उसकी बेटी उसके आने से पहले वह लोग घर में बहुत खुशी-खुशी रह रहे थे। मगर उस 7 साल की बच्ची के घर पर आ जाने से रीमा के दिमाग पर इतना ज्यादा असर हो गया है, वह बहुत ही चिड़चिड़ी और बद मिजाज हो गई है ।

हर समय बिना कारण इस बच्ची की तरफ गुस्से से देखती है ,जैसे कोई जबरदस्ती अपने ऊपर जवाबदारी थोपी हो ।और वह बच्ची हमेशा उसको बहुत प्यार से देखती है । मगर रीमा हमेशा उसको गुस्से से देखती

आज स्कूल जाते टाइम उसकी बेटी को जब वह प्यार कर रही थी ,गले लगा रही थी।

तो उसने इतनी कातर नजर से उसको देखा, कि उसको लग रहा था कि मेरे को भी अगर चाची गले लगा ले तो कितना अच्छा। उसकी नजरें ही सब कुछ कह रही थी।और वह नजर रीमा को अंदर तक भेद गई। उससे उबरने के लिए ही वह मार्केट चली गई खरीदी करने ।

मगर वहां पर भी उसकी कातर नजर पीछा नहीं छोड़ रही थी।

मार्केट में रीमा को उसकी बचपन की दोस्त मिलती है।

वह उसको देख कर बहुत खुश होती है। बोलती है अरे रीमा कहां खोई हो।

तुम तो इतनी खुश मिजाज हो और आज इतनी गहन विचारों में और इतनी दुखी सी क्यों नजर आ रही हो। रीमा पहले तो बात को उड़ा देना चाहती है। मगर उसकी फ्रेंड के बार-बार जोर देने पर वह उसको परेशानी बताती है । तब उसकी दोस्त उसको बोलती है वह नन्ही सी बिटिया नन्ही सी परी गुड़िया तेरे से थोड़े से प्यार की आशा ही तो रखती है। तू सोच उसने अपने मां-बाप को खो दिया।अगर कभी अपने बच्चे के साथ में ऐसा हो जाए तो क्या अपनी आत्मा नहीं चाहेगी कि मेरी बच्ची को कोई तकलीफ ना हो ।जो भी रखे वह प्यार से रखें अपना बच्चा समझ के रखे ।उसकी इस बात से रीमा की आत्मा एकदम झिंझोड़ जाती है। वह बोलती है तू सही कह रही है।

वहां से दोनों कॉफी वगैरा पीकर अलग होते हैं। और वह वापस आत्ममंथन करने लगती है। उसको लगता है वास्तव में मैंने उस नन्ही परी के साथ में बहुत खराब व्यवहार किया है । हमेशा उससे दूरी बनाए रखी , कभी प्यार नहीं किया हमेशा उस पर गुस्सा ही किया ।उसके मां बाप के मरने पर उसका क्या कसूर। अब मैं उसको अपनी बेटी के जैसे ही समझूंगी। और उसी तरह से प्यार करूंगी, और गोद ले लूंगी ।ऐसा विचार कर दम हल्की हो जाती है। तभी उसे ध्यान आता है कि अरे उसकी कल बर्थडे है।

वह बच्ची मां बाप की फोटो हाथ में लेकर रात को रोते-रोते यही तो बोल रही थी, कि मेरा जन्मदिन आने वाला है आप नहीं हो तो मेरा जन्म दिन कौन बनाएगा, कौन मुझे प्यार करेगा। आप क्यों छोड़ कर चली गई।अब मैं उसको यह एहसास नहीं होने दूंगी कि वह अकेली है ।

और वह उसकी बर्थडे का केक खरीद कर और भी बहुत सी उसकी पसंद की चीजें खरीद कर घर को जाती है।

 और उसको प्यार से गले लगाती है एक तरफ उसकी बेटी और एक तरफ उसकी देवर की बेटी वह नन्ही परी ऐसे चिपक जाती है उसके जाने उसको खोई हुई इसकी मां ही मिल गई हो ।और रीमा जो इतने दिनों से इतने तनाव में जी रही थी उसको लगता है , उसको गले लगाते ही उसका सब तनाव दूर हो गया है और उसको लगता है मैं एक नहीं दो बेटी की मां हूं । अब नन्ही परी के आंखों से कातर ता नहीं बल्कि प्यार ही झलक रहा था।

और उसको एक सुकून का अहसास हुआ। 

  



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