उजड़ा हुआ दयार -श्रृंखला (28)
उजड़ा हुआ दयार -श्रृंखला (28)
हर इंसान के जीवन में कुछ उजाले तो कुछ अँधेरे भरे दिन हुआ करते हैं। जब अंधरे भरे दिनों का सिलसिला चल रहा होता है तो इंसान हताश हो उठता है। शायद यही उसके जीवन की सबसे बड़ी भूल होती है। इन्हीं दिनों में उसके धैर्य की परीक्षा ऊपर वाला लेता है। अगर उसने ये दौर भी हँसते हँसते बिता लिया तो वह मुकद्दर का सिकन्दर कहलाता है।
लेकिन कितने हो पाए हैं अब तक मुकद्दर के सिकन्दर ..कभी आपने सुना है ?कभी उनसे हुई है आपकी मुलाक़ात?
हाँ ....हाँ सुना है .....जाना है .....और देखा भी है मैंने ऐसे एक इंसान को जिसका नाम है समीर। क्या- क्या ना सहा उसने ..या क्या - क्या नहीं सहता जा रहा है समीर ? पहले गाँव से शहर आकर उसने अपनी पढ़ाई पूरी की। फिर उसने छोटी छोटी नौकरियों से अपने कैरियर की शुरुआत की। .. .....और एक दिन वह देश की टॉप साफ्टवेयर कम्पनी में आज वाइस प्रेसिडेंट है। हाँ, यहाँ तक पहुँचने में उसे ढेर सारे अँधेरे और उजाले कठिनतम दौर से गुजरना पड़ा है बल्कि अभी भी इन अंधेरों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा है। तो क्या करे वह ? सरेंडर कर दे ?
अपनी नौकरी का इंटरव्यू देकर मीरा दिल्ली आ गई। माडल हाउस का उसका फ़्लैट भी मानो उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। लेकिन मीरा अब वह पहले वाली मीरा नहीं थी। उसने कुछ तय करके इस बार अपने फ़्लैट में क़दम रखा था। उसके जीवन के नए अध्याय की शुरुआत होनी थी और वह भी एक नये लाइफ पार्टनर के साथ !
इस बार समीर ने मीरा के स्वागत में कोई कोर- कसर नहीं छोड़ रखी थी। उसने अपने व्यवहार और वाणी पर भी नियन्त्रण पा लिया था। पुष्पा के साथ व्यतीत हुए सेक्स से भरपूर दिनों ने उसे सेक्स के प्रति भी नियन्त्रण ला दिया था। वैसे सच तो यह था कि मीरा, उसकी लाइफ पार्टनर , उसकी सेक्स सिम्बल कभी बन ही नहीं पाई थी। .....सुहाग रात से लेकर अब तक !
कुछ ही दिनों में स्पीड-पोस्ट से एक पत्र मीरा को मिला। पत्र नहीं उसका एप्वाइन्टमेंट लेटर था। उसे अगले हफ्ते ज्वाइन करना था। उसकी बांछें खिल गई|आज शाम वह अपने इस नये एसाइनमेंट और आगे के प्लान के बारे में समीर को बता देगी।
उधर पुष्पा ने भी रफ्ता -रफ्ता अपनी ज़िंदगी को पटरी पर लाने की कवायद शुरू कर दी थी। .......और राबर्ट ?
जीवन में हर दिन चांदनी रात नहीं हुआ करती और न ही चन्द्रमा हर रात अपनी शीतलता ही बिखेरा करता है। अन्ध तमिस्रा तो अपना असर दिखायेगी ही। उस दिन का सूरज भी अब अस्त होने के निकट था और समीर के वैवाहिक जीवन का सूरज भी तो दक्षिणायन की ओर है।
(क्रमशः)