उदय भाग ५
उदय भाग ५
रोज के काम में हफ्ता गुज़र गया साधु से मिलाने की बात वह भूल गया। बुआई को दस दिन हो गए थे जब छोटे पौधे ज़मीन से बहार निकले तब हर तरफ कोहराम मच गया पिछले काफी सालों से बंजर पड़ी ज़मीन में कुछ भी उगना किसी चमत्कार से कम नहीं था। चारों तरफ नटु के गुणगान गए जाने लगे गाँव में से लगभग हर आदमी इन पौधों को देख गया था। उस रात फिर उसे साधु की बात याद आयी उसने सोच लिया की कल वह उस साधु से मिलने आश्रम में जायेगा। उसने रामा से बात और दूसरे दिन हरि काका को बात करके वो रामा के साथ आश्रम की तरफ चल पड़ा। दो तीन घंटे के बाद वो लोग आश्रम पहुंचे तब तक वो लोग थक चुके थे वह पहुंचने के बाद उनका स्वागत जो साधु काका के घर आया था उसने किया, उसने अपना नाम अभिनाथ बताया उसने उनके लिए जलपान की व्यवस्था की और आराम करने कहा, अभिनाथ ने कहा की गुरूजी बाहर गए है कुछ देर बाद आएँगे।
दोपहर के बाद गुरूजी आश्रम में आये जैसे ही उन्होंने नटु को देखा तो उन्होंने दो हाथ जोड़कर प्रणाम किये यह देखकर रामा चमत्कृत हो गया की इतने बड़े साधु ने नटु को क्यों प्रणाम किये उसने सोचा ज़रूर कोई भेद ये नटु कोई पहुंची हुई हस्ती है। कुटिया में बैठने के बाद उन्होंने हरि काका और गाँव के बारे में समाचार पूछे फिर रामा से थोड़ी देर बाहर बैठने कहा। नटु ने दो हाथ जोड़े और गुरु कटंकनाथ से कहा, "गुरूजी मैं तो छोटा आदमी हूँ आप मुझे प्रणाम करेंगे तो मुझे पाप लगेगा।" कटंकनाथ हलके से मुस्कुराए और कहा "मैं आपके बारे में आपसे ज्यादा जानता हूँ डॉ. पल्लव ओझा" अब चौकने की बारी नटु की थी वो कुछ कह न सका। कटंकनाथ ने अपनी बात जारी रखी और आगे कहा "मैं आपके जीवन की हर छोटी छोटी बात जानता हूँ अगर आप कहे तो मैं बयां करूँ।" नटु ने कहा की "मैं अपने भूतकाल को याद करना नहीं चाहता।" "किसी भी चीज के लिए दुखी होने की जरुरत नहीं है जो कुछ भी हुआ वह आपको यहाँ पहुंचाने की कुदरत की करामात थी एक योजना थी।" नटु ने कहा "मेरा जीवन तहस नहस हो गया मेरी बीवी और बच्चे की अकाल मृत्यु ये कैसी योजना ?" "आपका जन्म इन छोटी छोटी बातों के लिए नहीं हुआ है आप कुदरत के कल्याण के लिए हुआ है अब बाकी की चिंताओं को छोड़िये और यहाँ हुई बातों के बारे में आप कही कुछ मत बताइये।" नटु ने पूछा "पर मैंने क्या करना है और ये चल क्या रहा है ?" कटंकनाथ ने कहा "आगे की कोई भी बात बताने के लिए मैं असमर्थ हूँ सही समय पर हमारे गुरु भभूतनाथ जी बताएँगे।" नटु ने पूछा "आप कहीं उन भभूतनाथ जी की तो बात नहीं कह रहे जो ७०-८० साल पहले ग़ायब हो गए थे वो कैसे आएंगे।" कटंकनाथ ने कहा की "इन सब की चिंता आप मत कीजिए समय आने पर सब पता चल जायेगा।" नटु असमंजस में रामा को लेकर वहां से निकला।