उदय भाग ४
उदय भाग ४
दूसरे दिन दोपहर में काम करने के बाद वह आराम कर रहा था तब रामा उसे बुलाने आया। नटु आया तब से खेत में रह रहा था, हां एक दो बार पान की दुकान पर जरूर गया था लेकिन वो हरिकाका के घर पे नहीं गया था।
नटु सोच में पड़ गया के क्या जाने क्यों बुलाया होगा। नटु जब उनके घर पंहुचा तो थोड़ी भीड़ थी, सबसे आगे हरिकाका थे और इन सब के बीच में एक साधू बैठा था। चमकता हुआ ललाट, उस पर त्रिपुण्ड, तेज तर्रार आँखें कुछ विशेष आकर्षण था उस साधू में। हरिकाका ने नटु को देखा तो पास आकर बैठने को कहा, नटु ने स्वाभाविक तरीके से साधु को प्रणाम किया और काका के पीछे बैठ गया। वह भीड़ में से लोग एक एक करके समस्या बता रहे थे और साधू उनकी समस्या का समाधान कर रहा था ।
धीरे धीरे पूरा आंगन खाली हो गया। हरिकाका ने साधू से कहा की महाराज आप इसका भी देखा लीजिये ये बेचारा वक़्त का मारा है इतनी दूर आना पड़ा नौकरी करने। इस पर इतनी बड़ी विपत्ति क्यों आ पड़ी ऐसा क्या है इसकी भाग्यरेखा में ?
साधू दो घड़ी नटु के तरफ देखता रहा, फिर वह काँप उठा उसने कहा, कुछ लोगों का भाग्य देखने की मुझे इजाजत नहीं, ये उन्ही में से है। इसके भाग्य के बारे में मैं तो क्या मेरे गुरूजी भी कुछ नहीं बता पाएंगे। सिर्फ इतना बता दूँ कि यह व्यक्ति आपके लिए भाग्यशाली है इसलिए इतने दूर आप तक पहुंचे हैं। कुछ अजब खेल होनेवाला है लेकिन मैंने जो बातें बताई है वह किसी को मत बताइये। ऐसा कहकर बाहर की तरफ चल दिए। नटु उनकी पीठ की तरफ देखकर सोच रहा था जाने क्या बात है क्या वो मेरे दागदार भूतकाल के बारे जान गए होंगे। एक बार इनके आश्रम में जाना पड़ेगा।
हरिकाका को नमस्ते की और वो और रामा खेत की तरफ निकले। नटु ने हरिकाका की आँखों में दिखा खुद के प्रति सम्मान का भाव देखा जो जरा भी अच्छा नहीं लगा। उसने सोचा- काका से कल बात करेगा। इस बात का प्रमाण उसे दूसरे दिन मिला जब सुबह के नाश्ते में रोटी और प्याज के जगह फुल्का रोटी सब्जी और मक्खन आया।
ये उसे जरा भी अच्छा नहीं लगा वो अब साधू की तरह जीना चाहता था। उसने काका से बात की उसने कहा काका मैं नौकर हूँ नौकर की तरह ही रहूँगा आप अगर ऐसा खाना भेजेंगे तो मैं कहीं और चला जाऊंगा और वैसे भी मुझे ऐसा कमजोर खाना अच्छा नहीं लगता। हरिकाका ने कहा- गलती हो गई आज यह खा लो कल से तुम्हे जो रोज खाते हो वही भिजवाऊंगा।
यह खाना खाते नटु को अपनी पत्नी के बनाये हुई फुल्का रोटी और उसके हाथ की बनी हुई स्वादिष्ट सब्जी याद आ गई।