उदय भाग २०

उदय भाग २०

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सुबह उदय जल्दी जग गया। नहा धोकर वह हरि काका के घर पहुंच गया। आज तो घर में जैसे दिवाली थी। पड़ोस की जमना काकी खाना बना रही थी उनके पति रघु काका साफ सफाई कर रहे थे। उदय मन ही मन सोच रहा था की यहाँ गाँव में यह कितना अच्छा रिवाज़ है अगर किसी के घर में मेहमान आ रहा हो तो, अड़ोस पड़ोस के लोग मदद करने पहुंच जाते है। शहर में रहता था तो कभी इतना अपनापन कभी नहीं देखा। आज उदय ने एक साफ़ धोती, कुरता और सर पर गमछा बांध रखा था उसने सोचा हो सकता है इस भेस में रोनक उसे पहचान ही न पाए। उदय घर पे आते ही चाय पीकर साफ सफाई के काम में जुट गया, थोड़ी देर में रामा भी आ गया दोनों मस्ती मजाक़ करते हुए काम करने लगे। हरि काका तो सुबह भोर में ही गाँव की एक मात्र ट्रैक्स गाड़ी थी वह लेकर निकल गए थे बेटे और बहू को लेने। हॉर्न की आवाज़ सुनकर रामा और उदय बाहर की तरफ चले गए मेहमानों का स्वागत करने और उनका सामान उठाने।

जलपान होने के बाद हरि काका ने अपने बेटे रोनक की पहचान नटु से करवाई, और कहा की "ये नटु है कुछ समय से अपने खेतों में काम करता है लेकिन है मेरे लिए बड़ा भाग्यशाली, जिस खेत में पिछले ८० साल में कुछ नहीं उगा उस खेत में इसके आने के बाद फसल हुई और वह भी गाँव में सबसे ज्यादा।" रोनक ने नमस्ते की और बाकी हालचाल पूछा। उदय के मन में शांति हुई के रोनक ने उसे नहीं पहचाना। दोपहर का खाना खाने के बाद उदय खेतों की तरफ निकल गया। शाम को देवांशी उससे मिलने आई और थोड़ी देर बात करके वापस चली गई।

दूसरे दिन वह खेत देखने रोनक, उसकी पत्नी वसुंधरा, सुनैना और देवांशी आये। थोड़ी देर घूमने के बाद वसुंधरा, सुनैना और देवांशी खटिया में बैठ गए। रोनक ने कहा नटु वो खेत किसका है ? "चलो जरा देखते है।" एक कोने पर पहुंचने के बाद रोनक ने सिगरेट जलाई और उदय की तरफ देखकर पूछा की "ये नई जिंदगी कैसी लग रही है पल्लव ? फिर आगे कहा की मैं तुम्हें देखते ही पहचान गया था लेकिन जब मैंने देखा की तुम नई पहचान के साथ शांत जिंदगी बिता रहे हो तो मैंने तुम्हारी पुरानी बातों को उजागर करना ठीक नहीं समझा।" उदय के घाव फिर ताज़ा हो गए ,उसने कहा की "अगर इतनी ही हमदर्दी थी तो कोर्ट में उसके खिलाफ बयान क्यों दिया ? जब की तुम जानते थे की मैं निर्दोष था।" रोनक ने कहा की "क्या फायदा होता ऐसा करने से वो लोग मुझे भी फंसा देते तुम जानते नहीं वो लोग बहुत ताक़तवर लोग थे। मेरे पास दो ही रास्ते थे या तो उनकी बात मान लेता या फिर शहर छोड़ देता। आज देखो तुम क्या हो और मैं क्या हूँ तुम यहाँ मेरे खेत में मज़दूर हो मैं अमीर हूँ , मशहूर हूँ और अमरीका में रहता हूँ। उस वक़्त अगर तुमने उनकी ऑफर का स्वीकार किया होता तो तुम भी अमरीका में होते और तुम्हारे बीवी बच्चे ज़िन्दा होते लेकिन तुमने अपने सिद्धांतों की ख़ातिर उनकी भी बलि चढ़ा दी।" रोनक ने अनजाने में उदय की दुखती रग पर हाथ रख दिया था लेकिन उदय ने अपने चेहरे पर कोई भाव आने नहीं दिया।

थोड़ी देर बात करके उसने पता किया की रोनक अभी श्रीलंका से कॉनफेरेन्स अटेंड करके आ रहा है और यहाँ से स्वामीजी के दर्शन करने दो दिन बाद राजस्थान जाने वाला है। उदय ने सोचा की हथियार दो दिन में ही पा लेना पड़ेगा और वो भी किसी को नुक्सान किये बगैर।

पूरी रात सोचने के बाद उदय इस निष्कर्ष पे पहुंचा की यहाँ काम बल प्रयोग से नहीं बुद्धि के प्रयोग से हो पायेगा और उस शस्त्र को पाने के लिए अपना पुराना शस्त्र इस्तेमाल करना पड़ेगा हिप्नोटिज़म जिसमे चौथे परिमाण में जाने के बाद काफी सुधार आया है उसमे उसने कुछ नई विशेषताएँ भी अर्जित की है। अब वह तैयार था परीक्षा के लिए ।


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