उदय भाग २

उदय भाग २

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नटु ने रामा से पूछा की "कितने साल हो गए इस घटना को?" रामा ने कहा की "पता नहीं लेकिन यह घटना हरि काका के जन्म से पहले की है। हो गए होंगे ७० - ७५ साल पता नहीं यह सच है भी की नहीं लेकिन ये सच ज़रूर है की यह ज़मीन बंजर है। वैसे काका ने कहा के अब टूबवेल लगाने के बाद भी इस साल कुछ नहीं ऊगा तो फिर वो अपनी कोशिशें छोड़ देंगे।"

देर रात तक नटु और रामा बात करते रहे, रात को चलती ठण्ड हवाओं से नटु नींद के आगोश में चला गया जो शायद ऐसी अच्छी नींद उसे पिछले ८ साल से नहीं आयी थी। सुबह जब उठा तो वो तारोताजा हो चुका था, नहाते नहाते उसने उगते हुए सूर्य को अंजलि दी तब उसकी आँखों में आँसू आ गए उसे याद आया बिता हुआ भयंकर भूतकाल फिर याद आया की उसने वादा किया है की वो इस बारे में किसी से बात नहीं करेगा खुद से भी नहीं। मन

में उठे हुए तूफान को दबाकर उसने पानी में डुबकी लगाई और बाहर आया तब उसकी आँखों में आया हुआ खून ग़ायब था और फिर से वह लाचार और ग़रीब नटु बन गया था।

नहाकर निकला तब तक सुबह का नाश्ता आ चुका था। रोटी, प्याज और तली हुई मिर्च खाकर जैसे उसके शरीर में दस हठी की ताकत आ गई थी। जैसे ही वह नाश्ता करके उठा उसे हरि काका आते हुए दिखे, उन्होंने आते ही कहा भाई नटु तुम मेरे लिए भाग्यशाली निकले अभी कल ही तुमने यहाँ पाँव रखे और बरसों से मेरा एक ज़मीन का केस चल रहा वह पूरा हो गया, सुन्दर ने केस पीछे भी लिया और माफ़ी भी मांगी। इतना कहकर वो खेत में घूमने चले गए और एक कोने में खड़े हो गए और आवाज़ देकर रामा और नटु को बुला लिया और उन्होंने एक कोने में उगी हुई घास दिखाई और कहा सचमुच तुम मेरे लिए भाग्यशाली साबित हुए हो जिस ज़मीन में पिछले ८० साल में कुछ नहीं ऊगा है वहां आज कुछ ऊगा है।


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