उदय भाग १८

उदय भाग १८

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उदय के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे उसने पूछा की अब तक मैं जो टाइम ट्रावेल के बात कहानियों में पढ़ता था उसकी बात कर रहे हैं, आप यानि को ऐसी कोई मशीन आपने बनाई है जिससे टाइम ट्रावेल मुमकिन है ? भभूतनाथ ने कहा शांत हो जाओ उदय यह टाइम ट्रावेल की बात जरूर है लेकि ऐसी कोई मशीन नहीं बल्कि शारीरिक शक्ति के सहारे समय प्रवास की बात है। चलो इसको ऐसे समझते है समय हमेशा गतिशील रहता है हमेशा एक ही गति से। मेरे से पहले जो दिव्या पुरुष थे बद्रीनाथ उन्होंने इस समय प्रवास का तरीका खोजा, अगर हम प्रकाश की गति से प्रवास करते है तो समय हमारे लिए रुक जाता है लेकिन अगर हम प्रकाश की गति से भी जयादा गति से प्रवास करते है तो समय का चक्र उल्टा फिरता है और हम समय में पीछे जा सकते है। उदय ने कहा की मेरे में प्रकाश की गति से प्रवास करने की शक्ति कहा है ? भभूतनाथ ने कहा तुममे नहीं है लेकिन रारामुरिनाथ में वह शक्ति है वही तुमको भूतकाल में ले जायेगा वैसे तुमको बता दूँ कि उसको यह शक्ति तुम्हीं ने प्रदान की थी लेकिन तुम्हे इसलिए मालूम नहीं है क्योंकि वो यादें तुम्हारे पुराने शरीर से जुडी हूँई है।

अब समय परिवर्तन के नियम जान लो तुम्हे उस वक़्त में पहूँंचाया जायेगा जब तुमने चतृर्थ परिमाण में प्रवेश किया था तो उधर पहूँंच के छुप जाना और जब भूतकाल का पल्लव वह से दूर पहूँंच जायेगा उसके बाद में प्रवेश करोगे। तुम्हारा भूतकाल का रूप और तुम आमने सामने नहीं आना है। दूसरी बात तीसरे परिमाण में पहूँंच कर तुम सिर्फ अपने इस काम से बंधे हो और कोई बंधन में मत पड़ना न ही मन का बंधन और न ही शरीर का बंधन। किसी के प्रति बैरभाव नहीं रखना है किसीका हत्या करना और जानबूझकर शारीरिक नुक्सान पहूँंचना मना है, शक्ति का दुरूपयोग मत करना, शक्ति उपयोग सिर्फ आत्मरक्षा के लिए करना, प्रदर्शन के लिए नहीं। मुझ तक कोई बात पहूँचानी है तो वह खेत में कालू नाम का जो कुत्ता है उसकी आंखों में देखकर अपनी बात कह देना तो मुझे समाचार मिल जायेगा और मेरा जवाब तुम्हे कटंकनाथ के द्वारा मिल जायेगा वैसे मुझे लगता नहीं की ऐसी कोई जरुरत पड़ेगी।

भभूतनाथ ने कहा कोई शंका हो मन में तो पूछ सकते हो। उदय ने कहा एक शंका है मन में अगर आप समय प्रवास कर सकते है तो फिर आपने भूतकाल में जाकर मुझे क्यों नहीं बचाया। भभूतनाथ ने कहा की कर सकता था और इसके लिए महाशक्ति बात भी की लेकिन महाशक्ति ने कहा तुम्हारी मृत्यु भी बड़ी योजना एक भाग है। महाशक्ति और दिव्यशक्ति पर विश्वास रखो। तुम सिर्फ अपना कर्म करो।

उदय भभूतनाथ की कुटीर से बहार आया फिर अपनी कुटीर में जाकर उस्तरे से दाढ़ी कर ली और अपने पुराने कपडे पहन लिए जो पहनकर चौथे परिमाण में आया था। अब वह फिर से नटु के भेस में था। रारामुरिनाथ उसे एक मैदान में ले गए और कहा मेरा हाथ कसकर पकड़ लीजिये और आँखे बंद कर लीजियेगा, थोड़ी घुटन महसूस होगी लेकिन जब तक मैं न कहूँ मेरा हाथ मत छोड़िएगा।

उदय ने रारामुरिनाथ का हाथ कसकर पकड़ लिया और आँखे बंद कर ली खुश ही देर में उसे अपना शरीर हवा में उड़ता हूँआ महसूस हूँआ थोड़ी देर में उसे घुटन होने लगी लेकिन उसने न आँखे खोली और न ही हाथ छोड़ा। थोड़ी देर बाद वह जमीं पर लेता हूँआ था और रारामुरिनाथ की आवाज जैसे दूर से आ रही थी और कह रही थी होश में आइये हम पहूँंच गए है। उसने आँखे खोली तो रारामुरिनाथ उसके ऊपर झुका हूँआ था और झंझोड़ रहा था। उसने पूछा आप ठीक हो ? उदय ने कहा ठीक हूँ। रारामुरिनाथ ने कहा की ऐसा होता है बहुत लोग तो पहली बार जब समय प्रवास करते हैं तो उलटी भी कर देते हैं। आप उन सबसे काफी बेहतर है। चलिए दरवाजा खुलने का समय हो गया है छिप जाते हैं।

वो दोनों एक पत्थर के पीछे छुप गए। थोड़ी देर में सामनेवाली पहाड़ी की तलहटी में एक प्रकाशित दरवाजा बन गया और कुछ समय बाद उदय ने देखा की वो उस दरवाजे से बहार निकल रहा है। काफी विचित्र दृश्य लग रहा था उदय खुद को वह से जाते हूँए देख रहा था। फिर जैसे ही देखा की भूतकाल का नटु वह से चला गया तो दोनों पत्थर के पीछे से निकला और प्रकाशित दरवाजे की तरफ चल दिए नजदीक पहूँंचकर रारामुरिनाथ की तरफ मुड़ा और कहा की यहाँ पहुँचने का शुक्रिया। रारामुरिनाथ ने कहा की यहाँ हम सब अपना कर्म करते हैं, आप पर काफी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है तो मैं आपकी सफलता की शुभकामना करता हूँ।

उदय ने मुड़कर उस प्रकाशित दरवाजे में प्रवेश किया और वह उस कमरे में था थोड़ी देर में दरवाजा अदृश्य हो गया। और उदय वहाँ रखी चारपाई में लेता और खुद को तुरंत नींद के हवाले कर दिया।


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