उदय भाग १२
उदय भाग १२
दिव्यशक्ति या महाशक्तियां क्या करती है इससे हमें कोई मतलब नहीं होना चाहिए। हमारे लिए महत्व का प्रश्न यह है की हमारा निर्माण क्यों हूँआ है और हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है। अगर हमारे कर्म उन्नत है तो अंत में हमें मोक्ष मिलेगा और हमारा विसर्जन दिव्यशक्ति में होगा हम उसीका एक भाग होंगे।
पल्लव ने पूछा की ठीक है अब यह बताइये की हमारा निर्माण कैसे हूँआ और हम कौन है ?
काफी प्रश्न है तुम्हारे मनमे चलो एक एक करके बताता हूँ। बाबा भभूतनाथ बोले
हमारा निर्माण छठे परिमाण में रहनेवाली महाशक्तिओ ने किया है पाचवे परिमाण स्तिथ कुदरती तत्वों का और कृत्रिम तत्वों का उपयोग किया है। मेरा निर्माण विभूति में धरती की शक्ति डालकर किया है, कमलनाथ का निर्माण कमल के दल में पूर्ण फूलो की सुगंधीदार शक्ति को मिलाकर किया, कदंबनाथ का निर्माण कदम्ब के वृक्ष तने और अन्य वृक्षों की शक्ति को मिलाकर किया, नरेन्द्रनाथ का निर्माण हस्तिदंत में अन्य कुछ जीवो की शक्तिया डालकर किया, भवेन्द्रनाथ का निर्माण नृत्य के भाव से किया, सप्तेश्वरनाथ का निर्माण सात अलग अलग शक्तिओ को एकत्र करके किया, ढोलकनाथ का निर्माण ढोलक की ताल से किया गया, असीमनाथ का निर्माण सागर की शक्ति से किया और तुम्हारा निर्माण सूर्य की किरण से किया गया। हम दसो दिव्यपुरुष अलग अलग शक्तिओ के मालिक है, तुम जो तीसरे परिमाण में सम्मोहन विद्या में प्रवीण थे उसका कारण यह था की तुम एक दिव्यपुरुष थे उस वक़्त की शिक्षा और दीक्षा, जो की तुम्हारे शरीर के साथ नहीं आत्मा के साथ जुडी है।
मैं खुद का परिवर्तन मिटटी या विभूति में कर सकता हूँ धरती से शक्ति खींच सकता हूँ जब तक मैं जमीन पर खड़ा हूँ कोई मेरे से मुकाबला नहीं कर सकता।, कमलनाथ का राज पूर्ण कुसुमसृष्टि पर चलता है वह किसी भी फूल को सुगंधीदार, दुर्गंधीदार या प्राणभक्षी फूल में कर सकते है। कदंबनाथ का राज वृक्षों पर चलता है वो वृक्षों से शक्ति खींच भी सकते है या उनके पास से कोई भी काम करा सकते है। इंद्रनाथ बिजली के स्वामी है वो कभी भी आसमान में बिजली उत्पन्न करके किसी को भी भस्म कर सकते है, नरेन्द्रनाथ का राज प्राणी जगत पर, सप्तेश्वरनाथ सात अलग अलग शक्तिओ के मालिक है, भवेन्द्रनाथ हर कला में प्रवीण है नृत्य संगीत के ज्ञाता है, ढोलक नाथ अलग अलग वाद्य बजने में माहिर है उनका नाद ब्रह्माण्ड में गूंजता है।
असीमनाथ का राज पानी पर चलता है अगर वो जल में है तो ऐसा कोई नहीं जो उन्हें हरा दे। तुम्हारा निर्माण सूर्य की किरणों से हुआ है इसलिए तुम्हारा राज आसमान में चलता है तुम प्रकाश की गति से कही भी जा सकते हो।
यह तो मैंंने मुख्य शक्तिओ की बात कही बाकि हमें हर अलग कलाओ, हर शस्त्र चलने की शिक्षा हमें तीन हजार वर्ष तक दी गई है पाचवे परिमाण में। और यह जो भी वर्ष बता रहा हूँ वह तीसरे परिमाण के हिसाब से वरना पाचवे परिमाण के हिसाब से हमें तीन या चार साल की शिक्षा दी गई।
पल्लव ने कहा की मेरे में तो ऐसी कोई शक्ति नहीं है तो भभूतनाथ बोले की जब तुम्हारा प्रवेश तुम्हारे मूल शरीर में होगा तो आ जाएगी जो की पाचवे परिमाण में है वह जाना मुश्कि है इसलिए मैं यहाँ पर एक मुश्किल कार्य संपन्न कर रहा हूँ आशा है मैं तुम्हार प्रवेश तुम्हारे मूल शरीर में जल्द ही करा दू।
पल्लव ने पूछा कि हम इतने शक्तिशाली थे तो यह सब कैसे हुआ ?